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अलंकार किसे कहते हैं ? What is Alankar in Hindi

नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम What is Alankar in Hindi के बारे में जानेंगे और Alankar in Hindi के बारे में विस्तार से पढ़ेंगे और आप यहां से Debate Topics in Hindi  पढ़ सकते हैं।

 

 

 

What is Alankar in Hindi

 

 

 

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अलंकार किसे कहते हैं?

 

 

 

What is Alankar in Hindi

 

 

 

किसी काव्य-खंड में जिन शैलियों या उपकरणों से उसकी सुंदरता बढ़ाई जाती है, उसे ही ‘अलंकार’ कहते हैं। अलंकार शब्द ‘अलम्’ और ‘कार’ से बना है, जिसका अर्थ है- आभूषण यानी गहना या विभूषित करने वाला।

 

 

साहित्य में शब्द और अर्थ दोनों का महत्त्व होता है। कहीं शब्द-प्रयोग से और कहीं अर्थ चमत्कार से काव्य में सौंदर्य की वृद्धि होती है। इसी आधार पर अलंकार के मुख्यतः दो भेद माने जाते हैं: शब्दालंकार और अर्थालंकार।

 

 

 

अलंकार के प्रकार/भेद

 

 

अलंकार दो प्रकार के होते हैं: शब्दालंकार और अर्थालंकार।

 

शब्दालंकार किसे कहते हैं?

 

 

 

जहाँ शब्दों के प्रयोग से सौंदर्य में वृद्धि होती है और काव्य में चमत्कार आ जाता है, उसे शब्दालंकार कहते हैं। इस अलंकार में शब्द विशेष को बदल देने से अलंकार नहीं सकेगा। इसके अंतर्गत अनुप्रास अलंकार, यमक अलंकार, श्लेष अलंकार, पुनरुक्ति प्रकाश, प्रश्न, स्वरमैत्री अलंकार आते हैं। लेकिन शब्दालंकार के तीन भेद मुख्य हैं: अनुप्रास, यमक और श्लेष अलंकार।

 

 

 

अनुप्रास अलंकार किसे कहते हैं?

 

 

 

इस अलंकार में किसी व्यंजन वर्ण की आवृत्ति होती है। आवृत्ति का मतलब है दुहराना।

 

 

उदाहरण: काल कानन कुंडल मोरपखा उर पै बनमाल बिराजति है। इस वाक्य में ‘क’ वर्ण की लगातार आवृत्ति है, इस वजह से इसमें अनुप्रास अलंकार है।

 

 

 

अनुप्रास अलंकार के उदाहरण

 

 

 

मुदित महिपति मंदिर आए। सेवक सचिव सुमन्त बुलाए।

कंकन किंकिन नूपुर धुनि सुनि। कहत लखन सन राम हृदय गुनि।

चारु चंद्र की चंचल किरणें, खेल रही हैं जल-थल में।

संसार की समर स्थली में धीरता धारण करो।

सेस महेस दिनेस सुरेसहु जाहि निरंतर गावै।

 

 

 

यमक अलंकार किसे कहते हैं?

 

 

 

 

किसी काव्य में जब एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आए और उसका अर्थ हर बार अलग हो, वहाँ यमक अलंकार होता है।

 

 

 

उदाहरण: काली घटा का घमंड घटा। यहाँ घटा शब्द की आवृत्ति अलग-अलग अर्थ में हुई है। पहली ‘घटा’ का अर्थ है, वर्षा काल में आकाश में उमड़ने वाली मेघमाला; और दूसरी ‘घटा’ का अर्थ है कम हुआ।

 

 

 

यमक अलंकार के उदाहरण

 

 

कनक कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय, या खाए बौरात नर या पाए बौराय।

कहै कवि बेनी बेनी ब्याल की चुराई लीनी।

जेते तुम तारे तेते नभ में न तारे हैं।

केकी-रव की नूपुर-ध्वनि सुन, जगती जगती की मूक प्यास।

माला फेरत जुग गया, फिर न मक का फेर।

कर का मनका डारि दे, मन का मनका फेर।।

 

 

 

श्लेष अलंकार किसे कहते हैं?

 

 

 

जहाँ किसी शब्द का अधिक अर्थ में एक ही बार प्रयोग हो, वहाँ श्लेष अलंकार होता है। श्लेष का अर्थ है- चिपकना। इसमें हम इस तरह भी परिभाषित कर सकते हैं कि जहाँ एक शब्द से दो अर्थ चिपके हों उसे श्लेष अलंकार कहते हैं।

 

 

 

उदाहरण: रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। पानी गए न ऊबरे, मोती, मानुस, चून।। यहाँ दूसरी पंक्ति में ‘पानी’ शलिष्ट शब्द है, जो प्रसंग के अनुसार तीन अर्थ दे रहा है— 1. मोती के अर्थ में- चमक; 2. मनुष्य के अर्थ में- प्रतिष्ठा; और 3. चूने के अर्थ में- जल।

 

 

 

श्लेष अलंकार के उदाहरण

 

 

 

मधुवन की छाती को देखो, सुखी कितनी इसकी कलियाँ।

पी तुम्हारी मुख बास तरंग, आज बौरे भौरे सहकार।

सुबरन को ढूँढत फिरत कवि, व्यभिचारी, चोर।

जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय।

बारे उजियारे करै, बढ़े अंधेरो होय।

 

 

 

अर्थालंकार किसे कहते हैं?

 

 

 

जहाँ अलंकार अर्थ पर आश्रित हो, वहाँ अर्थालंकार होता है। इस अलंकार के शब्दों के परिवर्तन कर देने पर भी अर्थ में बदलाव नहीं आता है। अर्थालंकार के कई प्रकार हैं, जैसे- उपमा अलंकार, रूपक अलंकार, उत्प्रेक्षा अलंकार, अतिशयोक्ति अलंकार, अन्योक्ति अलंकार, विरोधाभास अलंकार और मानवीकरण अलंकार।

 

 

 

उपमा अलंकार किसे कहते हैं?

 

 

 

जहाँ एक वस्तु या प्राणी की तुलना अत्यंत सादृश्य के कारण प्रसिद्ध वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है। ‘उप’ का अर्थ है— ‘समीप से’ और ‘मा’ का तौलना या देखना। ‘उपमा’ का अर्थ है— एक वस्तु दूसरी वस्तु को रखकर समानता दिखाना।

 

 

उदाहरण: कर कमल-सा कोमल है।

 

उपमा के मुख्यतः चार अंग होते हैं।

 

 

उपमेय:

 

 

 

जिसकी उपमा दी जाय, अर्थात् जिसकी समता किसी दूसरे वस्तु से दिखलाई जाय। उपर्युक्त उदाहरण में ‘कर’ उपमेय है।

 

 

उपमान:

 

 

जिससे उपमा दी जाय, अर्थात् उपमेय को जिसके समान बताया जाय। उक्त उदाहरण में ‘कमल’ उपमान है।

 

 

साधारण धर्म:

 

 

उपमेय तथा उपमान में पाया जाने वाला परस्पर समान गुण साधारण घर्म कहलाता है। उक्त उदाहरण में ‘कमल’ और ‘कर’ दोनों के समान धर्म हैं— कोमलता।

 

 

वाचक शब्द:

 

 

उपमेय और उपमान के बीच की समानता बताने के लिए जिन वाचक शब्दों का प्रयोग होता है, उन्हें ही वाचक कहते हैं। इस उदाहरण में ‘सा’ वाचक है। इसके अलावा ज्यों, जैसा, सम, तुल्य, सी, सरिस, आदि वाचक शब्द भी हो सकते हैं।

 

 

 

जहाँ या चारों अंग उपस्थित हों, वहाँ पूर्णोपमा अलंकार होता है और एक या अधिक तत्त्वों के अभाव में लुप्तोपमा अलंकार माना जाता है।

 

 

उपमा अलंकार के उदाहरण

 

 

मखमल के झूले पड़े हाथी-सा टीला।

पीपर पात सरिस मन डोला।

नील गगन-सा शांत हृदय था हो रहा।

कोटि-कुलिस-सम वचन तुम्हारा।

सिंधु-सा विस्तृत और अथाह एक निर्वासित का उत्साह।

तब तो बहता समय शिला-सा जाम जाएगा।

तारा-सी तरुनि तामें ठाढ़ी झिलमिल होति।

 

 

 

रूपक अलंकार किसे कहते हैं?

 

 

 

जब उपमेय पर उपमान का निषेध-रहित आरोप करते हैं, तब रूपक अलंकार होता है। उपमेय में उपमान के आरोप का अर्थ है— दोनों में अभिन्नता या अभेद दिखाना। इस आरोप में निषेध नहीं होता है।

 

 

उदाहरण: मैया मैं तो चंद्र खिलौना लैहों। इस वाक्य में चंद्रमा (उपमेय) में खिलौना (उपमान) का आरोप होने से रूपक अलंकार है।

 

 

 

रूपक अलंकार के उदाहरण

 

 

चरण-कमल बंदौ हरिराई।

पायो जी मैंने नाम-रतन धन पायो।

राम कृपा भव-निसा सिरानी।

एक राम घनश्याम हित चातक तुलसीदास।

चरण-सरोज पखारन लागा।

प्रेम-सलिल से द्वेष का सारा मल धुल जाएगा।

 

 

उत्प्रेक्षा अलंकार किसे कहते हैं?

 

 

 

जहाँ समानता के कारण उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। यदि किसी काव्य पंक्ति में ज्यों, मानो, जानो, इव, मनु, जनु, जान पड़ता है— आदि हो तो मानना चाहिए कि वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार का प्रयोग हुआ है।

 

 

 

उदाहरण: सखि! सोहत गोपाल के उर गुंजन की माल। बाहर लसत मनो पिए दावानल की ज्वाल।। यहाँ गुंजन की माल (उपमेय) में ज्वाला (उपमान) की संभावना प्रकट की गई है।

 

 

 

उत्प्रेक्षा अलंकार के उदाहरण

 

 

कहती हुई यों उत्तरा के नेत्र जल से भर गए।

हिम के कणों से पूरन मानो हो गए पंकज नए।।

इस काल मारे क्रोध के तनु काँपने उनका लगा।

मानो हवा के ज़ोर से सोता हुआ सागर जगा।।

जान पड़ता है नेत्र देख बड़े-बड़े, हीरकों में गोल नीलम हैं जड़े।

पद्मावती सब सखी बुलायी, जनु फुलवारी सबै चली आई।

 

 

अतिशयोक्ति अलंकार किसे कहते हैं?

 

 

जहाँ किसी बात का वर्णन काफ़ी बढ़ा-चढ़ाकर किया जाए, वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है।

 

 

 

उदाहरण: आगे नादिया पड़ी अपार, घोड़ा कैसे उतरे पार। राणा ने सोचा इस पार, तब तक चेतक था उस पार।। इन पंक्तियों में चेतक की शक्ति और स्फूर्ति को काफ़ी बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है।

 

 

 

अतिशयोक्ति अलंकार के उदाहरण

 

 

हनुमान की पूँछ में लग न पाई आग।

लंका सगरी जल गई, गए निशाचार भाग।।

देख लो साकेत नगरी है यही, स्वर्ग से मिलने गगन में जा रही।

बाँधा था विधु को किसने इन काली ज़ंजीरों से,

मणिवाले फणियों का मुख क्यों भरा हुआ है हीरों से

 

 

अन्योक्ति अलंकार किसे कहते हैं?

 

 

जहाँ उपमान के वर्णन के माध्यम से उपमेय का वर्णन हो, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है। इस अलंकार में कोई बात सीधे-सादे रूप में न कहकर किसी के माध्यम से कही जाती है।

 

 

जैसे: नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहिकाल। अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल।। यहाँ उपमान ‘कली’ और भौंरे’ के वर्णन के बहाने उपमेय (राजा जय सिंह और उनकी नवोढ़ा नायिका) की ओर संकेत किया गया है।

 

 

अन्योक्ति अलंकार के उदाहरण

 

 

जिन दिन देखे वे कुसुम, गई सुबीति बहार।

अब अलि रही गुलाब में, अपत कँटीली डार।।

इहिं आस अटक्यो रहत, अली गुलाब के मूल।

अइहैं फेरि बसंत रितु, इन डारन के मूल।।

भयो सरित पति सलिल पति, अरु रतनन की खानि।

कहा बड़ाई समुद्र की, जु पै न पीवत पानि।।

 

 

मानवीकरण अलंकार किसे कहते हैं?

 

 

जहाँ जड़ वस्तुओं एवं पदार्थों को मानवीय क्रियाओं से जोड़कर दिखाया जाए, वहाँ मानवीकरण अलंकार होता है।

 

 

जैसे: मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के। यहाँ मेघों का मनुष्य की भाँति सज-सँवरकर आने का चित्रण किया गया है।

 

 

मानवीकरण अलंकार के उदाहरण

 

 

मेघमय आसमान से उतर रही है, संध्या सुंदरी परी-सी।

हंस रही सखियाँ मटर खड़ी।

अपनी एक टांग पर खड़ा है यह शहर, अपनी दूसरी टांग से बिलकुल बेखबर।

फूल हंसे कलियाँ मुसकाई।

उषा सुनहरे तीर बरसाती, जय लक्ष्मी-सी उदित हुई।

 

 

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1 thought on “अलंकार किसे कहते हैं ? What is Alankar in Hindi”

  1. 800+ muhavare download nhi Ho rhe h

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