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Vishnu Bhagwan Ki Vrat Katha Pdf Download
इस पुस्तक के बारे में——
प्राचीनकाल में एक बहुत ही निर्धन ब्राह्मण था। उसके कोई संतान न थी। वह नित्य पूजा पाठ करता उसकी स्त्री न स्नान करती और न किसी देवता का पूजन करती। इस कारण ब्राह्मण देवता बहुत दुखी रहते थे। भगवान की कृपा से ब्राह्मण के यहां एक कन्या उत्पन्न हुई।
कन्या बड़ी होने लगी। प्रातः स्नान करने के बाद वह भगवान विष्णु का जप करती। वृहस्पतिवार का व्रत भी करने लगी। पूजा पाठ समाप्त कर पाठशाला जाती तो अपनी मुट्ठी में जौ भरके ले जाती और पाठशाला के मार्ग में डालती जाती। लौटते समय वही जौ स्वर्ण के हो जाते तो उनको बीनकर घर ले आती।
एक दिन वह बालिका सूप में उन सोने के जौ को फटककर साफ कर रही थी कि तभी उसकी मां ने देख लिया और कहा – कि हे बेटी! सोने के जौ को फटकने के लिए सोने का सूप भी तो होना चाहिए। दूसरे दिन गुरुवार था। कन्या ने व्रत रखा और वृहस्पतिदेव से सोने का सूप देने की प्रार्थना की।
वृहस्पतिदेव ने उसकी प्रार्थना स्वीकार कर ली। रोजाना की तरह वह कन्या जौ फैलाती हुई पाठशाला चली गयी। पाठशाला से लौटकर जब वह जौ बीन रही थी तो वृहस्पतिदेव की कृपा से उसे सोने का सूप मिला। उसे वह घर ले आयी और उससे जौ साफ करने लगी परन्तु उसकी मां का वही ढंग रहा।
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