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The Z Factor Pdf Hindi
डा.निशा भारती बहुत ही प्रफुल्लित थी ,क्यों कि उनकी आँखों का तारा रोशन अब पूर्ण रूप से स्वस्थ्य होकर घर आ गया था। रोशन के आने से सरिता भी बहुत खुश थी ,सरिता और रोशन के साथ सब छोटे बच्चे फिर से खेलने के लिए आने लगे थे अब तो डा.निशा भारती उन गरीव बच्चो के लिए भी खिलौने और खाने का सामान देती थी।
एक दिन दीपक डा.निशा भारती से बोला -दीदी -अब मैं स्वस्थ्य हो गया हूँ तथा अब मैं जाना चाहता हूँ। निशा भारती बोली -लेकिन तुम जाओगे कहाँ ?दीपक बोला -कही भी नौकरी तलाश करूंगा। निशा भारती बोली -तुमने पहले कहा था कि एक हलवाई के पास काम करते थे ,तब कुछ मिठाइयां बनाने का काम तुम्हे अवश्य आता होगा। दीपक बोला -हाँ -मैं पेठा बहुत बढियाँ बनता हूँ और आगरे का पेठा तो बहुत ही विख्यात है।
निशा भारती बोली -अगर तुम्हे स्वरोजगार शुरू करने का मौका मिले तो क्या तुम उसे कर सकते हो ?पेठा का स्वरोजगार शुरू करने में कितने पैसे लगेंगे वह बताओ। दीपक बोला -पेठा बनाने के लिए और उसे व्यवसाय का रूप देने में कम से कम पांच हजार रूपये लगेंगे। निशा भारती बोली -तुम कुछ दिन में अपना रोजगार शुरू करो ,अगर तुम बेंगलोर जाना चाहोगे तो मैं तुम्हे पिता जी के साथ बेंगलोर भेज दूंगी।
तुम्हारा व्यवसाय चल निकला तब अपना व्यवसाय करना ,और तुम कल से अपने व्यवसाय के लिए तैयारी शुरू कर दो ,तुम जब कहोगे तुम्हे उसी समय पांच हजार रूपये मिल जायेगे। डा. निशा भारती अपने लड़के को पढ़ने के लिए एक अच्छे स्कूल में भेजने लगी क्यों कि वह अब चार साल का हो गया था। उसके साथ ही कोमलकी लड़की सरिता -उसे डा. निशा भारती की लड़की कहना ज्यादा उचित होगा ,क्यों कि उसे जन्म देने वाली माँ कोमल अवश्य थी लेकिन उसका लालन -पालन करने वाली माता – डा.निशा भारती ही थी।
सरिता भी पढ़ने के लिए जाने लगी थी दोनों बच्चे पढ़ने में सामान्य बच्चो से अधिक ही तीव्र थे। डा. निशा भारती से दीपक बोला -दीदी -आप रूपये की व्यवस्था करिये मैं कल से ही अपना व्यवसाय शुरू करना चाहता हूँ। डा. निशा भारती ने उसे पांच हजार रपये दे दिए ,रूपये लेकर दीपक चला गया। दीपक ,सीधे पंकज स्वीट हॉउस के मालिक राजेश के पास गया और उससे बीस किलो पेठा मांगने लगा तथा एक हाथगाड़ी भी वही से किराये पर लिया।
राजेश ने २०किलो पेठा का दाम १२०० रूपये बताया और हाथगाड़ी का प्रतिदिन का किराया २० रपये ,दीपक ,राजेश को हाथ गाड़ी का एक महीने का किराया और पेठा का १२०० रुपया ,एक साथ १८०० रुपया देते हुए बोला -राजेश भाई -अगर आप को कभी रुपया नहीं मिल पाया तो आप धंधे के लिए पेठा उधार दे सकते हैं क्या ?
राजेश बोला -दीपक -तुम यहां काम करने वाले पुराने आदमी हो इसलिए तुम्हे हमारा सहयोग रहेगा वर्ना इस दुनिया में किसी का सहयोग करना अपना नुकसान करने के बराबर है ,राजेश कटु सत्यता का वयान किया था। दीपक हाथ गाड़ी पर पेठा लाद कर फेरी करने चला गया। किस्मत भी मेहनत वालों का ही साथ देती है दीपक को धंधा करने का अनुभव पहले से था ,वह शाम तक राजेश के पास आ गया और दूसरे दिन उसने ४० किलो पेठा लिया ,इस तरह उसका व्यवसाय खूब चलने लगा और वह अपने व्यापार से संतुष्ट था।
द ज़ेड फैक्टर Pdf Download

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