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Shiv Panchakshar Mantra Pdf / शिव पंचाक्षर मंत्र Pdf

नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको Shiv Panchakshar Mantra Pdf देने जा रहे हैं, आप नीचे की लिंक से Shiv Panchakshar Mantra Pdf Download कर सकते हैं और आप यहां से  शिवोहम शिवोहम मंत्र Pdf भी डाउनलोड कर सकते हैं।

 

 

 

Shiv Panchakshar Mantra Pdf / शिव पंचाक्षर मंत्र पीडीएफ

 

 

 

 

 

 

नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय
भस्मांग रागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय
तस्मै ‘न’ काराय नमः शिवायः ॥1॥

मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय
नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय।
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय

तस्मै ‘म’ काराय नमः शिवायः ॥2॥

शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्री नीलकंठाय वृषध्वजाय
तस्मै ‘शि’ काराय नमः शिवायः ॥3॥

वसिष्ठ कुम्भोद्भव गौतमार्य
मुनींद्र देवार्चित शेखराय।
चंद्रार्क वेश्वानर लोचनाय
तस्मै ‘व’ काराय नमः शिवायः ॥4॥

यक्षस्वरूपाय जटाधराय
पिनाकहस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगंबराय
तस्मै ‘य’ काराय नमः शिवायः ॥5॥

पंचाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिव सन्निधौ।
शिवलोक मवाप्रोगति शिवेन सह मोदते॥

|| इति श्रीमच्छड़राचार्य विरचितं  शिवपञ्चाक्षरस्तोत्रं सम्पूर्णम् ||

 

Shiv Panchakshar Mantra Pdf
Shiv Panchakshar Mantra Pdf Download

 

 

 

शिव पंचाक्षर मंत्र में शृष्टि के पांच तत्व

 

 

 

वैदिक विद्वानों के अनुसार शृष्टि का नियंत्रण देवाधिदेव के हाथो में बताया जाता है। शिव के पंचाक्षर मंत्रो को प्रायः सभी लोगो ने सुना होगा लेकिन आप लोगो में से किसी ने भी इस मंत्र पर गौर नहीं किया होगा। भगवान महादेव को प्रसन्न करने के लिए शिव पंचाक्षर मंत्र और शिव पंचाक्षर स्त्रोत्र का पाठ किया जाता है जिससे नीलकंठ महादेव जी बहुत जल्द प्रसन्न होते है।

 

 

 

इस मंत्र से केवल सावन के महीने में ही नहीं अपितु पूरे साल ही भगवान शिव की पूजा की जाती है जिस प्रकार सभी देवताओ में देवाधिदेव महादेव सर्वश्रेष्ठ है उसी प्रकार भगवान शिव का पंचाक्षर मंत्र ‘नमः शिवाय’ श्रेष्ठ है। यह पांच अक्षर है। न, म, शि, व, य, जिन्हे मिलाकर नमः शिवाय बनता है।

 

 

 

‘ओम नमः शिवाय’ वह सबसे पहला मंत्र है। जिसकी उत्पत्ति से मानव कल्याण की कामना की गयी है। गौर करने वाली बात यह है कि शृष्टि के पांच तत्व पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु इन पंचाक्षर मंत्र से नियंत्रित होते है।

 

 

 

पंचाक्षर मंत्र के जाप से लाभ

 

 

 

पंचाक्षर मंत्र से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है। यह मंत्र समस्त वेदो का सार है इस मंत्र से मुक्ति और मोक्ष प्राप्त होता है। भोजन करने से पूर्व 11 बार इस मंत्र के जप से वह भोजन भी अमृत के समान हो जाता है। इस मंत्र से कई प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है।

 

 

 

अंजलि में जल लेकर शिव का ध्यान करते हुए 11 बार शिव पंचाक्षर मंत्र का जप करते हुए उस जल में शिव जी का अभिशेष करना चाहिए इससे जातक की आर्थिक उन्नति के साथ ही विद्या की प्राप्ति होती है। इस मंत्र के जाप से कई प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है।

 

 

 

इस मंत्र का प्रभाव इतना व्यापक होता है कि इसके साधक को लौकिक और परालौकिक सुख इच्छित फल तथा पुरुषार्थ की प्राप्ति हो जाती है। यह पंचाक्षर अति सूक्ष्म है लेकिन इसका प्रभाव बहुत ही व्यापक है तथा इसमें अनेक अर्थ समाये हुए है तथा श्रद्धा पूर्वक जाप करने से सभी पापो से मुक्ति प्राप्त होती है।

 

 

 

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