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Shiv Mantra List Pdf | शिव मंत्र लिस्ट Pdf Download

नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको Shiv Mantra List Pdf देने जा रहे हैं, आप नीचे की लिंक से Shiv Mantra List Pdf Download कर सकते हैं और आप यहां से शिव पंचाक्षर मंत्र Pdf भी डाउनलोड कर सकते हैं।

 

 

 

 

Shiv Mantra List Pdf

 

 

 

 

 

 

 

 

शिव तांडव की रचना रावण के द्वारा की गयी थी जो जगत्प्रसिद्ध लंका का अधिपति था। लंकाधिपति रावण परम विद्वान तथा शिव भक्त था। लंका नरेश द्वारा रचित शिव तांडव स्तोत्र एक अत्यंत प्रभावशाली शिव स्तोत्र है जिसके नियमित रूप से पाठ करने से शिव की भक्ति और उनकी कृपा की प्राप्ति होती है।

 

 

 

लंका नरेश रावण परम विद्वान तथा महान शिव भक्त था। उसने अपनी कठोर तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न करके अनेक वरदान प्राप्त कर लिया था। रावण को अपनी शक्ति का बहुत गर्व हो गया था। वह भगवान शिव के समक्ष अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए कैलास पर्वत को अपनी दोनों भुजाओ से उठा लिया था।

 

 

 

भगवान शिव ने अपने भक्त रावण के भीतर उत्पन्न अहंकार भाव को समझ गए तथा उसके अहंकार को समाप्त करने के लिए भगवान शिव ने कैलास पर्वत का भार बढ़ा दिया। कैलास पर्वत का भार इतना बढ़ गया कि वह रावण के लिए असह्य हो गया।

 

 

 

शिव भक्त रावण को अपनी उदंडता का ज्ञान हो गया। उसने अपने धैर्य का परिचय देते हुए क्षणमात्र में ही ‘शिव तांडव स्तोत्र’ की रचना कर डाली और स्तोत्र का गायन भगवान शिव के समक्ष करने लगा। भगवान शिव अपने भक्त द्वारा रचित शिव तांडव स्तोत्र का श्रवण करके बहुत प्रसन्न हुए तथा उसे मनोवांछित वरदान दिए।

 

 

 

1- जिनकी निरंतर कृपा दृष्टि से कठिनतम विपत्ति का भी निवारण हो जाता है तथा गिरिराज किशोरी के शिरोभूषण से समस्त दिशाओ को प्रकाशित होते देख जिनका मन आनंदित हो रहा है ऐसे किसी दिगंबर तत्व में मेरा मन सहज ही आनंद प्राप्त करे।

 

 

 

2- जिन्होंने जटा रूपी अदवी (वन) से निकलती हुई गंगा जी के गिरते हुए प्रवाह से पवित्र किए गए गले में सर्पो की लटकती हुई विशाल माला को धारण कर डमरू के डम-डम शब्दों से मंडित प्रचंड तांडव नृत्य किया वे शिव जी हमारे कल्याण का विस्तार करे।

 

 

 

3- जिनकी जटाओ मे रहने वाले सर्पो में फणों की मणियों से फैलता हुआ प्रभा पुंज दिशा रूपी स्त्रियों के मुख पर कुमकुम का लेप कर रहा है। मतवाले हाथी के हिलते हुए चर्म का वस्त्र धारण करने से स्निग्ध वर्ण हुए उन भूतनाथ में मेरा चित्त अद्भुत आनंद प्राप्त करे।

 

 

 

4- जिनका मस्तक जटा रूपी कड़ाह में वेग से घूमती हुई गंगा की चंचल तरंगो से सुशोभित हो रहा है उनके ललाट की ज्वाला धक-धक करती हुई प्रज्वलित हो रही है। सिर पर चन्द्रमा विराजमान है। उन भगवान शिव में मेरा निरंतर अनुराग बना रहे।

 

 

 

5- जिनकी चरण पादुकाएं इंद्र आदि देवताओ के प्रणाम करने से उनके मस्तक पर विराजमान कुसुम से धूसरित हो रही है तथा नागराज के हार से बांधी हुई जटा वाले वे भगवान चंद्रशेखर मुझे चिर स्थाई सम्पत्ति प्रदान करे।

 

 

 

6- जिनके कंठ में नवीन कंठमाला से घिरी हुई अमावस्या की आधी रात के समय फैलते हुए अंधकार के समान कालिमा अंकित है। जो गजचर्म का वस्त्र धारण किए हुए है। वह संसार के भार को धारण करने वाले चन्द्रमा के समान मनोहर कान्ति वाले भगवान गंगाधर मेरी सम्पत्ति का विस्तार करे।

 

 

 

7- जिन्होंने ललाट की वेदी पर प्रज्वलित पावक के तेज से कामदेव को नष्ट कर डाला था। सुधाकर की कला से सुशोभित मुकुट वाला वह उन्नत विशाल ललाट वाला जटिल मस्तक जिसे इंद्र भी नमस्कार किया करते है हमे सम्पत्ति प्रदान करे।

 

 

 

8- जिन्होंने अपने विकराल ललाट पर धक्-धक् करती हुई प्रचंड ज्वाला में कामदेव को भस्म कर दिया था तथा गिरिराज किशोरी पर पत्र भंग रचना करने के एकमात्र कारीगर उन भगवान त्रिलोचन में मेरा मन लगा रहे।

 

 

 

9- जो त्रिपुर, भव, दक्षयज्ञ, हाथी, अंधकासुर और यमराज का भी अंत करने वाले है तथा जो अभिमान रहित पार्वती जी के कालरूप कदम्ब मंजरी के मकरंद श्रोत की बढ़ती हुई माधुरी का पान करने वाले भंवरे है। उन्हें मैं नमस्कार करता हूँ तथा उन्हें ही भजता हूँ।

 

 

 

10- जिनके मस्तक पर तीव्र वेग के साथ घूमते हुए सांपो के फुंफकारो से ललाट की भयंकर ज्वाला क्रमशः धधकती फ़ैल रही है। धीमे-धीमे मृदुल स्वर में वादन करते हुए मृदंग के गंभीर मंगल स्वर के साथ जिनका प्रचंड तांडव हो रहा है। उन भगवान शंकर की जय हो।

 

 

 

11- जिनका कंठ खिले हुए नील कमल समूह की श्याम प्रभा का अनुकरण करने वाली है तथा जो कामदेव, भव (संसार) त्रिपुर, हाथी, दक्षयज्ञ, अंधकासुर और यमराज का भी संहार करने वाले है मैं उन भगवान को भजता हूँ।

 

 

 

12- सुंदर ललाट वाले भगवान चंद्रशेखर में मन को एकाग्र करके अपने कुविचारों को त्यागकर गंगा जी के तटवर्ती वन के भीतर रहता हूँ। डबडबाई अश्रु पूरित नेत्रों से सिर पर जोड़कर शिव मंत्र का उच्चारण करता हुआ मैं कब सुखी होऊंगा।

 

 

 

13- पत्थर और सुंदर बिछौनो में तिनका या कमल के समान नेत्र वाली तरुणी में, सांप और मोतियों की माला में, बहुमूल्य रत्न और मिट्टी के ढेले में, मित्र या शत्रुपक्ष में, प्रजा तथा राजाओ में समान भाव रखता हुआ मैं सदा शिव को भजूँगा?

 

 

 

14- जो मनुष्य इस उत्तमोत्तम स्तोत्र का नित्य पाठ और स्मरण करता है उसे शीघ्र ही भगवान शंकर की भक्ति की प्राप्ति होती है। वह विरुद्ध गति का भागी नहीं होता है। वह सदा ही शुद्ध रहता है क्योंकि शिव जी के चिंतन और ध्यान से मोह का नाश हो जाता है।

 

 

 

शिव मंत्र लिस्ट पीडीएफ

 

 

 

Shiv Mantra List Pdf
शिव मंत्र लिस्ट पीडीऍफ़ डाउनलोड Part 1 नीचे दी गयी लिंक से करे।

 

 

 

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