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Shiv Bhajan in Hindi Book
नरेश और विवेक दोनों अपनी वी एस सी की पढाई पूरी कर चुके थे और आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें आगरा जाना था वहां दो साल की पढ़ाई के बाद वह दोनों डाक्टर बन जाते लेकिन एक कहावत है कि –निज चेती होती नहीं ——-एक दिन रघुराज के पास प्रताप भारती का फोन आया था ,कुशल क्षेम के बाद प्रताप भारती ने कहा -रघु मैं कल गंगा पुरआ रहा हूँ। रघुराज ने कहा कि -आप अवश्य ही आइये ,दूसरे दिन प्रताप गंगा पुर पहुंच आये थे।
वह गंगा पुर से सीधे विंदकी आ गए थे। रघु तो उनका ही इंतजार कर रहा था। रघु हनुमान मंदिर के पास दिनेश की दुकान पर बैठे थे तभी वहां प्रताप भारती आ गए ,जलपान इत्यादि के बाद रघु उन्हें सारे कार्य का व्योरा समझाने लगे। प्रताप भारती बोले -रघु भाई -आप के दोनों लड़के इस समय क्या कर रहे हैं ? – रघु बोले -हमारा बड़ा लड़का विवेक वी एस सी की पढाई पूरी कर चुका है और आगे की पढाई के लिए आगरा जाने के लिए तैयारी कर रहा रहा है।
आप तो कई लोंगो के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं और आप के निःस्वार्थ भाव से कार्य करने का तरीका देख कर समाज में धीरे -धीरे परिवर्तन दिखाई दे रहा है। और इसी के परिणाम स्वरूप विवेक भी डाक्टर बन कर समाज के असहाय व्यक्तियों की निःस्वार्थ सेवा करना चाहता है।प्रताप भारती को लगा कि अब उनका यहाँ आने का उद्देश्य पूरा हो सकता है। प्रताप भारती ने पूछा -रघु भाई -आप का दूसरा लड़का क्या कर रहा है ?
रघु ने कहा -उसने तो पढ़ाई १२ वी के बाद छोड़ दिया। प्रताप भारती ने तुरंत ही प्रश्न कर दिया -उसने पढ़ाई क्यों छोड़ दिया ?क्या आर्थिक दवाव था?या फिर वह पड़ने में कमजोर था। रघु बोले -न तो आर्थिक दवाव था ,न तो हमारा छोटा लड़का पढ़ने में ही कमजोर था।आर्थिक दवाव का तो कोई प्रश्न ही नहीं है ,क्यों की ,?आप के सहयोग से सबको आर्थिक सहयोग मिल रहा है। अब रही बात पढ़ाई की तो ,जिले में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाला छात्र कभी कमजोर हो सकता है क्या ?
सुधीर के प्रेरणा स्रोत भी आप हैं। सुधीर और रजनी ने मिल कर एक बहुत ही बेहतर प्रयास किया है ,प्रताप बोले -यह रजनी कौन है ?रघु बोले ,प्रताप भाई ,आप तो जानते हैं ,हमारे पास कोई बेटी नहीं है ,रजनी ,हमारे पड़ोस के गांव में रहने वाले राजीव प्रजापति की लड़की है ,वह सुधीर से २ वर्ष बड़ी है ,सुधीर उसे दीदी कहता है। उन दोनों ने आपको अपना आदर्श मानते हुए एक कंपनी शुरू किये हैं।जिसमे इस समय २० लोग कार्य करते है। और उस कंपनी में बाँस से कुर्सी ,मेंज ,चटाई ,इत्यादि घरेलू सामान का निर्माण होता है।
जिसकी अन्य शहरों में बहुत मांग है ,और यह सब बनाने के लिए बांस बहुत ही आसानी से प्राप्त हो जाता है। रजनी का एक बड़ा भाई है ,उसका नाम नरेश है ,वह भी विवेक के साथ डाक्टरी की पढाई करता है ,प्रताप के मन में कुछ घुमड़ रहा था ,उनका सारा ध्यान रजनी और सुधीर के ऊपर था। प्राताप ने कहा -रघु भाई ,क्या आप मुझे -रजनी और सुधीर से मिलवा सकते हो ?रघु ने कहा -हम लोग कल रजनी और सुधीर से मिलने उनके कंपनी में चलेंगे ,वहां आप पूरी व्यवस्था समझ और देख सकेंगे।
रात्रि में भोजन के उपरांत विश्राम के समय प्रताप भारती ने डा. निशा भारती को फोन किया ,दूसरी तरफ से निशा प्रणाम करते हुए बोली ,आप कहाँ से बोल रहें है पिताजी ?प्रताप भारती ने कहा ,मैं विंदकी आ गया हूँ ,रघुराज के पास और तुम सभी लोग कैसे हो ?निशा बोली ,यहाँ सब लोग अच्छे से हैं। प्रताप भारती ने कहा -निशा बेटी ,हमने तुमसे कुछ कहा था और तुमने अभी तक उसका जबाब नहीं दिया। निशा बोली -पिता जी ,विपिन कहा रहे थे की मैं एक फौजी आदमी हूँ मैं व्यापार में नहीं -सेट-हो पाउँगा।
यदि कोई लापरवाही करता हुआ दिखेगा तो स्थिति बिगड़ जाएगी ,उन्होंने मुझसे कहा यदि तुम साथ चलो तो मैं तुम्हारा सहयोग कर सकता हूँ। प्रताप ने डा. निशा भारती से कहा -बेटी तुम भी अपनी सामर्थ्य के अनुसार समाज की सेवा में योगदान भली प्रकार से दे रही हो ,अतः मैं तुम्हारे ऊपर और जिम्मेदारी नहीं बढ़ाऊंगा इस विषय में मैं रघु से बात करूंगा और यहीं से कोई समाधान अवश्य निकलेगा। तुमलोग अपना ध्यान रखते हुए दिन -दुखियो की सेवा में सदैव तत्पर रहना।
निशा भारती ने भी बताया कि कैसे दीपक नाम के आदमी ने भी वेसहारा लोंगो को सहारा देने का कार्य किया है ,यह सुन कर प्रताप भारती बहुत खुश हुए और फोन रख दिया ,क्यों की रात्र बहुत हो गई थी ?
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