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Sanskrit Sikhane Ki Pustak Pdf
संस्कृत सीखने की पुस्तक के बारे में
पाणिनि का ध्यान संक्षेप की ओर विशेष रूप से था जिसके लिए उन्होंने प्रत्याहार, अनुबंध, राजाज्ञों आदि का पूर्ण आश्रय ध्यान स्थान पर लिया है। इन संक्षेप करने वाली प्रणालियों का वर्णन हम आगे करेंगे। यहां हम यह कहना चाहते है कि पाणिनि की अष्टाध्यायी में छंद रूपों और धातु रूपों का बड़ी सूक्ष्मता के साथ विवेचन हुआ है।
उनका ढंग वैज्ञानिक है। इनकी अष्टाध्यायी विश्व का एक आदर्श व्याकरण ग्रंथ है जिसमे सर्वांगपूर्ण अनुसंधान, संक्षेपातिशयता, नियम बद्धता और तार्किकता अपनी पूर्णता की चरम सीमा को प्राप्त हुई है। संक्षेपातिशय का उद्देश्य संभवतः व्याकरण के नियम को करने योग्य बनाना था।
इस प्रवृत्ति का एक बुरा परिणाम यह भी हुआ कि व्याकरण शास्त्र अत्यंत दुरूह और फलस्वरूप गुरु मुखापेक्षी हो गया। दूसरी बात यह हुई कि पाणिनि ने भाषा और व्याकरण की बिखरी हुई सामग्री का इस प्रकार नियमो में जकड़ दिया कि उसकी स्वाभाविक सरल गति एक प्रकार से रुद्ध सी हो गयी।
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