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Saket Mahakavya Pdf Hindi Download
साकेत महाकाव्य के बारे में
भरत की मां हो गयी अधीर, क्षोभ से जलने लगा शरीर। दाह से भरा सौतिया डाह, बहाता है बस विषप्रवाह। मानिनी कैकेयी का कोप, बुद्धि का करने लगा विलोप। और रह सकी न अब वह शांत, उठी आंधी सी होकर भ्रांत। एढ़ियो तक आ छूटे केश, हुआ देवी का दुर्गा वेश।
पड़ा तब जिस पदार्थ पर हस्त, उसे कर डाला अस्त- व्यस्त। तोड़कर फेके सब श्रृंगार, अश्रुमय से थे मुक्ता-हार। मत करिणी सी दलकर फूल, घूमने लगी आपको भूल। चूर कर डाले सुंदर चित्र, हो गए वे सब भी आज अमित्र। बताते थे आ आकर श्वास, हृदय का ईर्ष्या वह्नि विकास।
पतन का पाते हुए प्रहार, पान करते थे हाहाकार। दोष किसका है किस पर रोष, किन्तु यदि अब भी हो परितोष। इसी क्षण कौशल्या अन्यत्र, सजाकर पट-भूषण एकत्र। वधू को युवराजी के योग्य, दे रही थी उपदेश मनोज्ञ। इधर कैकेयी उनका चित्र, खींचती थी सम्मुख अपवित्र।
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पुस्तक का नाम | Saket Mahakavya Pdf Hindi |
पुस्तक के लेखक | मैथिलीशरण गुप्ता |
भाषा | हिंदी |
फॉर्मेट | |
साइज | 3.6 Mb |
पृष्ठ | 477 |
श्रेणी | काव्य |


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