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Rama Amar Chitra Katha Hindi Pdf
रघुराज सोनकर ,जो गंगापुर के (सरोज सेवा केंद्र )के व्यवस्थापक थे ,उनका गंगापुर और विंदकी के आलावा पुरे क्षेत्र में खूब नाम हो रहा था ,सभी लोग उन्हें बहुत इज्जत से देखते थे और इसकी शुरुआत तो श्री हनुमान मंदिर से हो गई थी ,हनुमान मंदिर पर आने वाले श्रद्धालुओ को निःशुल्क चाय ,तथा अल्पाहार देने का कार्य दिनेश नामक व्यक्ति को सौप दिया गया था।
दिनेश ,मंदिर पर आने वाले श्रद्धालुओं की खूब सेवा करता था जिसका फल उसे शाम तक अवश्य ही प्राप्त हो जाता था। हनुमान जी की कृपा से यह चर्चा बहुत दूर तक फैल गई थी। माघ -पूस का महीना शुरू हो गया था ,इस महीने में भारत के मैदानी भाग में ठंढी का प्रकोप बढ़ जाता है। रघुराज एक दिन बाजार में बैठे हुए थे बाजार में एक भीख मांगने वाला व्यक्ति घूम रहा था ,लेकिन उसे कोई कुछ भी नहीं दे रहा था।
सब लोग अपने रास्ते चले जाते थे ,उसके तन पर इतनी ठंढी में भी कायदे से तन ढकने के लिए कोई वस्त्र नहीं था ,न ही उसके पाँव में किसी प्रकार का चप्पल ही था। रघुराज को प्रताप भारती की बात याद् हो गई ,उन्होंने एक कपड़े की दुकान में जाकर उसके मालिक से कुछ कहा फिर बाहर चले आये फिर दिनेश चाय वाले के यहां बैठ गए। कपड़े की दुकान का मालिक एक लड़के से उस भीख मांगने वाले को बुलवा लिया।
ग्राहकों के जाने के बाद उसे ठंढ से बचने के लिए कई तरह के गर्म कपड़ों से ढक दिया और उसे पहनने के लिए जूते भी दे दिए ,वह भिखारी आशीर्वाद देता हुआ जाने लगा तो दिनेश चाय वाले ने उसे बुलाया फिर चाय नाश्ता करा कर उसकी उदर पूर्ति कर दिया। कई लोग यह सब देख कर अवाक् थे लेकिन जो लोग जानने वाले थे वह समझ गए था कि यह सारा कार्य सरोज सेवा केन्द्र के सहायक व्यवस्थापक रघुराज सोनकर द्वारा किया गया है।
कुछ समय पश्चात रघुराज कपड़े की दुकान में गए और पूछा ,प्रमोद भाई -आप का कितना रुपया हुआ ,प्रमोद बोला -तीन हजार ! रघुराज ने तुरंत तीन हजार रूपये अपनी जेब से निकाल कर दे दिए फिर आकर दिनेश से पूछने लगे कि आज आपका कितना रुपया हुआ ,दिनेश बोला -आज का १५० रुपया ,रघुराज ने उसे १५० रुपया दिया फिर अपने घर की तरफ जाने लगे ,उनके पास का पैसा खत्म हो रहा था।
प्रताप भारती को गए एक महीना हो गया था ,रघुराज आगे के विषय में सोच रहे थे ,तभी उनके फोन की घंटी वजने लगी ,दूसरी तरफ प्रताप भारती थे ,नमस्ते ,करने के बाद पूछा ,कैसा चल रहा है ! रघुराज ने कहा -आपने ऐसा कार्य सौप दिया है कि प्रत्येक दिन कहीं से भी कोई सहायता के लिए आ जाता है और आप के कहने के अनुसार ही मैं सहायता के लिए सदैव तैयार रहता हूँ लेकिन ,,,,लेकिन क्या ?प्रताप भारती ने पूछा -रघुराज बोले -कहीं बीच में व्यवधान उतपन्न हो गया तो सभी लोग बहुत हंसी उड़ायेंगे।
प्रताप भारती बोले -मैं आपकी बात से सहमत हूँ ,लेकिन भगवान की कृपा से सब ठीक होगा ,मैंने पचास हजार रुपया आपके खाते में भेज दिया है आप उसे लेकर आगे का कार्यक्रम देखिये ,ज्यादा परेशानी होने पर आप फोन द्वारा हमे सूचित करिये ,मैं आप को तुरंत ही रूपये की व्यवस्था कर दूंगा। रघुराज घर पहुंचे ही थे कि ,सुखिया दौड़ते हुए उनके पास आया ,जो कि उनके ही गांव का व्यक्ति था। मजदूरी करके अपने परिवार का भरण -पोषण करता था।
वह रघुराज से बोला -रघु भाई -हमारे लड़के की तबियत खराब है उसे निमोनिया हो गया है दवा के लिए पैसे नहीं हैं ,इस माघ -पूस के महीने में कहीं काम नहीं मिलता है लड़के की दवा के लिए पैसे की व्यवस्था कर दो ,इतना सुनते ही रघुराज उसके साथ चल दिए ,सुखिया के लड़के की तबियत ज्यादा खराब थी उसे तुरंत एक गाड़ी ने लेकर डा. के पास चल दिए। बाजार में डा. से दवा दिलाने साथ ही उसे सर्दी से बचने की व्यवस्था भी कर दिए और सुखिया को उसके लड़के केसाथ घर छोड़ कर फिर अपने घर वापस आ गए थे।
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