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Ram Bhajan Sangrah Pdf
भक्तों के दुखड़े दूर किये तुमने, मरे दुख दूर करो अब आन | हे श्री चोबरीसों भगवान, मेरे दुख दर करो अब आन ॥टेक॥
ऋषभ अजित संभव अभिनंदन, सुमति सुमति दीज स्वामी । पत्न सुपारस चन्द्रप्रभु जिन. सुतिधिनाथ अन्तरयामी ॥ शीतलनाथ करो जग शीतल, भ्र यनाथ पद नमन महान ॥टेक॥
चांसुपूज्य अर विमल जिनश्वर, श्री अनन्त अतिशयधारी । धमनाथ श्री शान्ति कुन्थ प्रभु, अरह वरी जा शिवनारी ॥ मल्लिनाथ मनिसुवत्रतस्वामी, नमि कीना, आतमकल्यान |टेक॥
नमि प्रभु तजि राजुल नारी, पशुओं की सन दिलकारी पाश्वे कमंठ उपसर्ग चुरकर, महावीर हो ब्रह्मचारी ॥
सेतरा रतन! करों तुम जब तक, मिले न पद निव्रान ॥टेक॥
महावीर दशन को चलिये, श्रभी सुनी ये बात है।
वो ऐसे दयालु परमास्मा, दुखियों की सूनें आवाज है ॥टेक॥
निधेन धनी या मरख गुनी, हो तुमको क्रियीसे क्या नाता |
जो तुमको हू ढ़ अरुतुम मिलो ना,एसा कभी ना हो सकता ॥
तेरेनामका जमाना कुशलान है, इतिहास बताये यह बात है॥टेक।॥
जलती अगन में पापी जनोंते, जब दीन पशुृगण को वारा । मंडा अहिंसा का विश्वमर में, लेकर तुम्हीं ने फहराया ॥
तेरा नाम जो जपे दिनरात है, वह पापीभी दोर बनजात है ॥टेव॥
मेंढक चला पखड़ी ले कमलकी, तेरे नाम पर दीवाना | मरकर अचानक उसने स्व का, छिनमें लिया है परवाना ॥ तू’जानता प्रभूजी सब बात है, तूं तारनतरन जिनतात है ॥टेक॥
चांदन नगर में इक ग्वाले ने, तुमक्रो हृदय में बठाया | रथ न चलेगा जब्बतक हमारा, यह भी स्वप्न में बतलाया ॥
उस ग्वालने लगाया जब हाथ है, रथ दो ड़ने लगा इकसाथ है टेक! जिसने पुकारा जिनवीर तुमको, तुमने प्रनक्की उसकी आशा है। सिंहुंडी नगर का सेवक ‘रतन” ये, ऐसे दरश का प्यासा है ॥ करूं वंदना तुम्हारी जोड़ हाथ है, अब राखना हमारी प्रथु लाज है॥
राम भजन संग्रह pdf Download





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