Advertisements

60 + Name of Kitchen Items in English and Hindi Pdf

नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको Name of Kitchen Items in English and Hindi Pdf देने जा रहे हैं। आप नीचे की लिंक से Name of Kitchen Items in English and Hindi Pdf Download कर सकते हैं।

 

 

 

 

Name of Kitchen Items in English and Hindi Pdf

 

 

 

Kitchen Items Name in English and Hindi Pdf Download

 

 

60 + Name of Kitchen Items in English and Hindi Pdf
60 + Name of Kitchen Items in English and Hindi Pdf

 

 

Family Relationship Names in English to Hindi Pdf Download

 

 

 

 

 

 

सिर्फ पढ़ने के लिये 

 

 

 

 

उपरोक्त शब्दों का तात्पर्य – बद्ध जीवन में सारा कर्म भौतिक गुणों से दूषित रहता है। यहां तक कि ब्राह्मण को भी ऐसे यज्ञ करने पड़ते है जिनमे पशु हत्या अनिवार्य होती है।

 

 

 

यहां पर एक अत्यंत सुंदर उदाहरण दिया जाता है। यद्यपि अग्नि शुद्ध होती है तो भी उसमे धुआँ रहता है लेकिन इतने पर भी अग्नि अशुद्ध नहीं होती है।

 

 

 

अग्नि में धुआँ होने पर भी उसे सभी तत्वों मी शुद्ध माना जाता है। इसी प्रकार एक व्यापारी को चाहे वह कितना भी पवित्र क्यों न हो उसे अपने व्यापार में बने रहने के लिए प्रायः अपने प्राप्त लाभ को छिपाना पड़ता है।

 

 

 

 

यह सब बातें व्यापार के लिए आवश्यक है और इनसे बचा भी नहीं  जा सकता है। । भले ही ऐसा नहीं होना चाहिए। इन सब दोष के होते हुए भी मनुष्य को अपने निर्दिष्ट कर्म करते रहने चाहिए क्योंकि यह स्वभावगत है।

 

 

 

 

यदि कोई क्षत्रिय की वृत्ति को त्यागकर ब्राह्मण की वृत्ति ग्रहण करना पसंद करता है तो उसको इसकी कोई निश्चितता नहीं है कि ब्राह्मण वृत्ति में कोई अरुचिकर कार्य नहीं होंगे।

 

 

 

 

अतएव कोई यह निष्कर्ष निकाल सकता है कि इस भौतिक संसार में प्रकृति के कल्मष से कोई भी पूर्णतः मुक्त नहीं है। इस प्रसंग में अग्नि तथा कोयले का उदाहरण अत्यंत उपयुक्त है।

 

 

 

 

यदि जाड़े के दिनों में कोई अग्नि से कोयला निकालता है तो कभी-कभी अग्नि के धुए से उसकी आँखे तथा शरीर के अन्य भाग दुखते है। लेकिन इन प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद अग्नि को तापा जाता है।

 

 

 

 

इसी प्रकार किसी को अपनी वृत्ति का त्याग नहीं करना चाहिए, चाहे उसमे किसी भी प्रकार के बाधक तत्व क्यों न आ जाये। अपितु मनुष्य को चाहिए कि कृष्ण भावनामृत में रहकर अपने वृत्ति परक कार्य से परमेश्वर की सेवा करने का संकल्प अवश्य ले।

 

 

 

 

यही सिद्धि अवस्था है। जब कोई भी वृत्तिपरक कार्य भगवान को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है तो उस कार्य के सारे दोष स्वतः ही शुद्ध हो जाते है। जब भक्ति से संबंधित कर्म फल शुद्ध हो जाते है तो मनुष्य अपने अंतर का दर्शन कर सकता है और यही आत्म-साक्षात्कार है।

 

 

 

 

मित्रों यह पोस्ट Name of Kitchen Items in English and Hindi Pdf आपको कैसी लगी कमेंट बॉक्स में जरूर बतायें और इस तरह की पोस्ट के लिये इस ब्लॉग को सब्स्क्राइब करें और इसे शेयर भी करें।

 

 

 

इसे भी पढ़ें —-एक शब्द के अनेक अर्थ इन हिंदी Pdf

 

 

 

Leave a Comment

Advertisements