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नीली कोठी हिंदी कहानी | Motivational story in Hindi

नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको Motivational story in Hindi देने जा रहे हैं, आप इसे जरूर पढ़ें। इसमें बहुत सी Motivational Story दी गयी है। 

 

 

 

 

The motivational story in Hindi

 

 

 

 

 

 

 

 

 

कार्तिक एक दिन अपनी दुकान से अपने घर आ रहा था।  दिन के ४ बज रहे थे ,सड़क के क्रासिंग पर लाल बत्ती जल गई थी ,तभी उसके सामने एक भिखारी की लड़की आ कर खड़ी हो गई और भीख मांगने लगी।

 

 

 

 

कार्तिक ने उसे १० रूपये का नोट दिया। वह लड़की १० रुपये का नोट देख कर उखड़ गई और कहने लगी ,साहब !आप बीस रूपये दीजिये ,इस १० रूपये में क्या मिलता है आज -कल ?

 

 

 

 

कार्तिक कुछ कहता इसके पहले ही क्रासिंग पर हरी बत्ती जल गई वह १० रूपये का नोट रखता हुआ अपनी मोटर साइकल को आगे बढ़ा दिया।

 

 

 

 

दूसरे दिन कार्तिक अपनी हैण्डलूम की कंपनी में जा रहा था तो क्रासिंग से पहले एक दुकान पर रुक गया जो उसके पहचान वाले की थी।

 

 

 

वहां पर वही भिखारी की लड़की दुकान वाले से बीस रूपये लेने के लिए बहस कर रही थी। शेखर नामक वह दुकानदार भी उस भिखारन की लड़की से उलझ गया था और कह रहा था कि  -तुम्हे बीस रूपये चाहिए ,यहां हम लोगो को बीस रूपये कमाने के लिए २पीस टॉवेल बेचना पड़ेगा ,लेकिन वह भिखारन की लड़की भी उसकी बातों का बड़ी शालीनता के साथ जवाब दे रही थी।

 

 

 

 

 

 

 

कार्तिक उसके चेहरे की तरफ बहुत ध्यान से देख रहा था ,जिसमे बनावटी चेहरा लगाया गया था और बात करने का ढंग तो आम भिखारिओ से एक दम अलग था विल्कुल नार्मल अंदाज ,कार्तिक उसे ४० रूपये देते हुए बोला  -आप यहां बहस मत करो ,यह २० रूपये इस दुकानदार के और यह २० रूपये क्रासिंग वाले हैं।

 

 

 

 

वह भिखारन लड़की कार्तिक का मुँह देखने लगी ,शायद सोच रही थी कि वह क्या जवाब दे ,तभी शेखर बोल उठा -तुम्हें पैसे मिल गए अब जाओ यहाँ से।

 

 

 

 

भिखारन लड़की वहां से चली गई। अब शेखर कार्तिक से उलझ गया और बोला -कार्तिक भाई !आप जैसे लोग ही इन भीखरीओं का मन बढ़ा देते हैं ,अगर जिसके पास बीस रूपये नहीं रहेगा तो वह कहाँ से देगा ?

 

 

 

कार्तिक भाई !आपने गौर से उस भिखारन लड़की के चेहरे पर देखा क्या ? शेखर क्रोध से बोला -उस भीखारन लड़की के चेहरे में ऐसा कौन सा चाँद -तारा लगा हुआ है ,जो मैं उसके चेहरे की तरफ देखूं।

 

 

 

कार्तिक बोला -अरे  शेखर भाई ! मेरे कहने का मतलब यह है की ,वह भिखारन नहीं थी ,उसका चेहरा वनावटी लग रहा था और उसके कपड़े तो आम भिखारिओ से एक दम हट कर थे ,उसकी बात करने की कला तो पढ़े लिखे लोगो के जैसी जग रही थी। शेखर बोला -हमारे पास इन सब बातो पर ध्यान देने के लिए समय कहा है ?.

 

 

 

 

शेखर बोला -लेकिन मैं तुमसे एक बात पूछना चाहता हूँ कि अच्छी भली दुकान और कम्पनी संभालते हुए तुम्हारे ऊपर जासूस बनने का भूत कब से सवार हो गया है?पिता की बनाई हुयी दुकान पर ऐश कर रहे हो ,फिर भी तुम्हे जासूस बनने की पड़ी है। कार्तिक बोला -शेखर भाई ! हैण्डलूम की कम्पनी मैंने अपने दम पर खड़ी किया है इतना कहते हुए कार्तिक वह से चला गया।

 

 

 

 

उसके मन में उस भिखारन की असलियत जानने की इच्छा प्रवल हो उठी थी ,कार्तिक – उसकी सहायता करना चाहता था उसके इरादे भी नेक थे कार्तिक अपनी कम्पनी में पहुंचा वहां काम सही तरिके से चल रहा था उसकी कम्पनी का बना हुआ माल -चद्दर ,तौलिया ,रूमाल इत्यादि बाजार में बहुत तेज गति से बिक रहा था ,क्योकि अच्छी गुणवत्ता और कम कीमत होने से जनता बहुत पसंद कर रही थी।

 

 

 

 

कार्तिक दो पार्टियों को ही अपना माल देता था, बाकी  का सारा माल उसकी दुकान पर ही बिक जाता था। सभी कर्मचारियों को बेतन देने का समय हो गया था।

 

 

 

 

पराग ने कार्तिक को एक भी पैसा नहीं दिया था सिर्फ २० दिन का खर्च दे कर वह गांव चले गए थे। समय से पहले ही कर्मचारियों को वेतन मिल जाता था। कार्तिक चाहता तब दुकान और कम्पनी के पैसे से सबका वेतन दे सकता था ,लेकिन उसने पूरा हिसाब अपने पिता को देने का मन बना लिया था।

 

 

 

 

कार्तिक ने अपनी दुकान में कई सालो से पड़े हुए माल को और कम्पनी के खराब हुए माल को एक रद्दी माल खरीदने वाले को बेच दिया जिससे कार्तिक को ८ लाख रूपये प्राप्त हुए ,उन्ही रुपयों से सभी कर्मचारियों का वेतन दे दिया फिर भी उसके पास १लाख रूपये बच गए जो उसके खर्च में काम आ रहे थे। अब पराग के आने का समय हो गया था। कार्तिक सुबह अपनी दुकान और कम्पनी के लिए निकला था कि वही भिखारन की लड़की एक नीली कोठी में दाखिल हो रही थी।

 

 

 

 

कार्तिक वैसे तो प्रति दिन ही उस नीली कोठी को देखता था। लेकिन आज उस भिखारन लड़की को उस नीली कोठी में जाते हुए देख कर  कार्तिक की जिज्ञासा बढ़ गयी थी ,क्यों कि  वह लड़की आज भिखारन के भेष में नहीं थी ,उसके हाथ में एक बड़ा सा बैग था वह किसी कुलीन खानदान से ताल्लुक रखती हुयी मालूम पड़ती थी। कार्तिक के पास समय कम था अतः वह अपनी दुकान और कम्पनी की तरफ चला गया। पराग और केतकी दोनों ही दोपहर में गांव से आ गए थे।

 

 

 

लेकिन वह लोग जिस उद्देश्य से गांव गए थे वह पूरा तो नहीं हो सका  लेकिन एक आशा जरूर बंध गई थी। रात्रि के ८ बजे कार्तिक घर आ गया ,उसे फोन पर मालूम होगया था कि उसके माता -पिता आ गए हैं। पराग ने कार्तिक से पूछा -तुमने किस प्रकार सभी कर्मचारियों का वेतन दिया ,और अपना खर्च कैसे चलाया ?जबकि हमने तुम्हे केवक २० दिन का खर्च दिया था। कार्तिक बोला -पिताजी ! व्यापारी का लड़का हूँ इसलिए कोई भी परेशानी नहीं हुई।

 

 

 

 

कार्तिक ने डेढ़ महीने का हिसाब फायदे के साथ पराग को बता दिया था। कार्तिक फिर बोला -पिता जी ! बरसों से कितना ही माल दुकान में दबा पड़ा था और कम्पनी में भी खराब माल पड़ा था उसे हमने ८ लाख में रद्दी वाले को बेच दिया फिर सभी कर्मचारियों का वेतन समय से पहले ही चुकता कर दिया यह सब सुन कर पराग बहुत खुश हो गए लेकिन केतकी को अपना उद्देश्य नहीं पूरा होने का मलाल था।

 

 

 

 

Motivational stories in Hindi नीली कोठी 

 

 

 

 

दूसरे दिन कार्तिक नीली कोठी से थोड़ा दूर हट कर अपनी मोटर साईकल के साथ खड़ा था। ८ बजकर ३० मिनट पर वही लड़की नीली कोठी से निकली ,उसकी सूरत एकदम उस भिखारन लड़की से मिलती थी ,उसके हाथ में एक बड़ा सा कालेज बैग था।

 

 

 

 

कार्तिक दौड़ते हुए उसस्के सामने आ गया और पूछ बैठा !आप कल शेखर की दुकान पर गयी थी ,इतना सुनते ही उस लड़की के चेहरे का रंग उतर गया ,उसे लगा कि  शायद आज उसका भेद खुल जायेगा ,लेकिन दुसरे ही क्षण वह बोली ,आप कौन  हो और यहाँ क्यों आये हो ?

 

 

 

कार्तिक बोला -मेरा नान कार्तिक है ,मैंने  पहले आपको सिग्नल के पास देखा था ,फिर शेखर की दुकान पर और आज यहाँ ,क्या मैं  पूछ सकता हूँ कि  आप खुद को इतना रहस्यमय क्यों बनाये हुए हैं ?

 

 

 

 

तभी वह लड़की बोली ,हमारे पास आपकी बातों का जवाब देने का समय नहीं है ,और आप , हमारा और अपना समय बेकार ही नष्ट कर रहे हैं ,इतना कहते हुए उसने एक कार्ड निकाल कर कार्तिक को दिखाया ,उस कार्ड पर लिखा था ,रचना दास ,एस.वी.आई. मैनेजर ,चितपुर ब्रांच !शायद ,लड़की अपनी गलती का अंदाजा लगा चुकी थी उसने तुरंत ही अपना कार्ड रख लिया फिर वहा  से चली गई।

 

 

 

 

कार्तिक सिर्फ इतना पढ़ सका था ,एस.वी.आई. मैनेजर चित पुर ब्रांच। कार्तिक खुद से बोला -हमे दुसरो की परेशानी में दखल देने का क्या हक है ? हमारे पास अपनी दुकाने और कम्पनी हैं ,मैं क्यों दूसरों की समस्याओं में पडूँ ?फिर वह अपनी मोटर साईकल लेकर कम्पनी में पहुंच गया।

 

 

 

 

कम्पनी में माल का उत्पादन बहुत अच्छे ढंग से हो रहा था ,सभी कर्मचारी बहुत लगन के साथ काम कर रहे थे ,लेकिन माल की अच्छी गुणवत्ता और कम कीमत होने से मांग बहुत ज्यादा हो गयी थी और उत्पादन कम पड़ गया था।

 

 

 

कार्तिक ने औरत कर्मचारियो की संख्या बढ़ाने का निश्चय कर लिया था ,उसने अनुभवी कर्मचारियों को मशीन की जिम्मेदारी सौप दिया और बाकी  कर्मचारियों को माल की सफाई ,छटाई तथा  पैकिंग करने के लिए रख दिया ,कम्पनी के बाहर एक बोर्ड लगा दिया जिसमे ६० औरत कर्मचारियों की आवश्यकता थी। रात्रिके समय में काम करने के लिए सिर्फ आदमियों को ही रखा गया था।

 

 

 

कार्तिक जब दूकान से होकर कंपनी के आफिस में बैठता था तो उसी समय काम की तलाश में औरतो का आना शुरू हो जाता था। क्यों कि  ,शहर में माध्यम वर्ग के आदमी तथा औरत के लिए नौकरी एक जरूरत बन गयी थी ?

 

 

 

औरत कर्मचारियों की संख्या लगभग पूरी हो गयी थी ,सिर्फ चार के लिए और जगह बची हुई थी ,वह भी ऐसी जरूरत की जगह खाली थी जो १२ दुकान और उसके कर्मचारियों का तथा कम्पनी का पूरा हिसाब कार्तिक को बता सके ,कम्पनी और उसके कर्मचारियों का का पूरा वेतन ,माल उत्पादन का पूरा हिसाब वगैरह सही ढंग से कार्तिक को समझाए और दूकान तथा कम्पनी के फायदे के लिए कार्य कर सके।

 

 

 

अब ,कार्तिक ने दूकान और कम्पनी में जाने के लिए अपने समय में परिवर्तन कर लिया था। एक दिन कार्तिक कम्पनी में जाने के लिए निकला था तो देखा कि  नीली कोठी के सामने भीड़ लगी हुई थी ,कार्तिक ने थोड़ा नजदीक जाकर देखा तो वह भिखारन लड़की किसी के साथ वहस में उलझी हुई थी ,कार्तिक ने मुँह बनाया और आगे बढ़ गया।

 

 

 

शेखर से कार्तिक की मुलाकात हुए बहुत दिन हो गया था ,आज वह कम्पनी से निकल कर शेखर की दुकान पर आ गया था। कार्तिक को देखते ही शेखर बोला -इस समय कम्पनी में उत्पादन कम हो रहा है क्या ?हमे माल क्यों नहीं मिल रहा है ?

 

 

 

कार्तिक बोला -आपका जितना आर्डर है उससे दो गुना ज्यादा माल आज शाम तक आपके पास आ जायेगा ,क्यों कि ? हमने कम्पनी में माल का उत्पादन बढ़ाने के लिए कर्मचारियों की संख्या बढ़ा दिया है।

 

 

 

शेखर और कार्तिक दोनों बातें कर  रहे थे तभी वह भिखारन लड़की आ गयी और शेखर से २० रुपए मांगने लगी ,शेखर ने इस बार उससे वहस नहीं किया और २० रुपए उसे दे दिए।

 

 

 

 

भिखारन को देखते ही कार्तिक वहां से चला गया तो उसे एक झटका जैसा लगा। वह भिखारन शेखर से पूछने लगी ,भाई साहब ! आपके दोस्त ,आज इतनी जल्दी क्यों चले गए ?शेखर ने आज गौर से उस भिखारन लड़की की तरफ देखा तो उसे कार्तिक की कही हुई बात याद हो गयी ,उस भिखारन लड़की का बात करने का ढंग अन्य भिखारियों से अलग था।

 

 

 

 

उस भिखारन के चेहरे पर दूसरा चेहरा लगा हुआ प्रतीत होता था। शेखर बोला -मैं उसके बारे में ज्यादा नहीं जानता हूँ ,तुम्हे अगर आवश्यकता हो तो खुद ही पता लगा लो। भिखारन लड़की बोली -हम तो भीख मांगने वाले लोग है  ,मुझे भला क्या आवश्यकता होगी? ऐसा कहते वह चली गयी।

 

 

 

कार्तिक की माँ को अब भोजन बनाने में थोड़ा परेशानी होती थी ,कार्तिक अपनी माँ की परेशानी समझते हुए बोला -माँ -आज मैं आपकी सहायता के लिए किसी को भेज दूँगा।

 

 

 

 

कार्तिक की माँ बोली ,बेटा ,इस घर के लिए कोई नौकरानी नहीं मालकिन चाहिए ,मालकिन ! जो इस घर की सारी जिम्मेदारी को संभाल सके ,हम लोंगो का कुछ भरोसा नहीं अगर इस घर की मालकिन आ जाये तो हमलोगो को यहाँ से जाने में बहुत सुजून मिलेगा।

 

 

 

 

कार्तिक ने अपनी माँ की बातों का कोई जबाव नहीं दिया वह अपनी माँ की बातों का मतलब समझता था ,लेकिन उसने पढ़ाई के दौरान ब्रिटेन में जो देखा हुआ था ,वह सदा ही उसकी आँखों के सामने तैरता रहता था।

 

 

 

 

ब्रिटेन में वहां के लोग (रिश्तों )को कपड़ो की तरह बदलते थे ,इसलिए वह पूरी सावधानी बरतना चाहता था ,चाहे समय कितना भी लग जाये।

 

 

 

 

नीली कोठी प्रायः रोज ही कार्तिक को दिखाई पड़ती थी ,वह अपनी मोटर साईकल को एक दम  धीमी गति से चला रहा था ,क्योकि वह आज समय से पहले ही कंपनी के लिए निकल पड़ा था ? जैसे ही नीली कोठी के सामने  कार्तिक अपनी मोटर साईकल से पहुंचा उसी  समय एक कुत्ता न जाने कहाँ से आ गया ,मोटर साईकल की गति धीमी होने से कुत्ता हल्के रूप से घायल हो गया लेकिन कार्तिक उसे बचाने में बहुत घायल हो गया ,उसी पल नीली कोठी से रचना निकल कर आ गयी और कुत्ते की मरहम-पट्टी करने लगी। कुछ उम्र दराज  लोग भी उस नीली कोठी से निकल आये थे जो कह रहे थे कि इस लड़के की कोई गलती नहीं है।

 

 

 

उस समय एक बुजुर्ग सज्जन बोले -रचना -मैंने तुमसे कितनी बार कहा कि शेरू को इस समय मत छोड़ा करो ,क्यों की इस समय सड़क पर चलने वालो की संख्या अधिक रहती है ?लेकिन तुम हमारी बात मानती कहा हो। रचना बोली -ठीक है बाबा ,आगे से ध्यान रखूंगी।

 

 

 

 

उस लड़की का नाम आज कार्तिक के सामने जाहिर हो गया था वह कुत्ते की मरहम -पट्टी करने में लगी हुयी थी ,कार्तिक उससे बोला क्या आप डाक्टर हैं ? लड़की ने उत्तर दिया -नहीं -कार्तिक ने उस लड़की से फिर पूछा -क्या आप बैंक मनरजर हैं ?लड़की ने ,हाँ ,में उत्तर दिया ,क्या आप भिखारी बन कर  भीख मांगती है ?अब तो इस हकीकत पर उस लड़की को हाँ कहना पड़ा। लेकिन भिखारी और भीख की असलियत पर रचना के चेहरे का रंग बदलने लगा।

 

 

 

 

कार्तिक बोला -आप मुझे जासूस मत समझिये ,हमारे पास इस कार्य के लिए समय नहीं है। आप का नाम तो उन महाशय ने बताया जिन्हे आप ने ,बाबा ,कहा था। चार दिन पहले जो कार्ड आपने दिखाया था उस पर ही बैंक मैनेजर -चितपुर ब्रांच -लिखा हुआ था ,और आपसे सिग्नल पर मुलाकात एक भिखारी के रूप में हुयी थी ,इतना कहते हुए कार्तिक वहां से अपनी कम्पनी के लिए चला गया।

 

 

 

 

वहां पहुंच कर  डा.भुवन मुखर्जी को फोन पर बताया की वह घायल हो गया है। डा. भुवन मुखर्जी तुरंत ही कार्तिक की कंपनी में आकर उसकी मरहम पट्टी करने लगे। कार्तिक ने डा. भुवन मुखर्जी से पूछा -अंकल -आप तो यहीं के रहने वाले हैं ना। डा. मुखर्जी बोले -हाँ -मैं यहीं का रहने वाला हूँ ,कार्तिक उनसे नीली कोठी के विषय में पूछने लगा।

 

 

 

डा. मुखर्जी ने उसे बताया कि -यह कोठी किसी साधू के श्राप द्वारा अभिशप्त है ,लेकिन इसमें रहने वाले लोग हमेशा परोपकारी ही रहते हैं।

 

 

 

 

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