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Kundali Banana Sikhe Pdf
एक बार एक साधु नगर के चौराहे पर बैठकर आने जाने वालो से अपनी मदद की गुहार लगा रहा था, लेकिन उसकी बात के ऊपर कोई ध्यान नहीं दे रहा था।
साधु के पास कुछ लोग खड़े हो गए थे और कुछ लोग पैसे भी दे रहे थे, लेकिन साधु संतुष्ट नहीं था। वह सभी से कह रहा था किस्मत के दो पहलू है एक मैं और एक तुम।
लेकिन साधु की यह बात किसी के समझ में नहीं आई। उधर से राजा की सवारी आने वाली थी। सभी लोग एक किनारे हट गए लेकिन साधु अपने स्थान पर ही जमा हुआ था।
साधु कहता जा रहा था किस्मत के दो पहलू है एक मैं और एक तुम। तभी राजा की सवारी वहां आ गई। उन्होंने साधु के द्वारा कही बात को गौर से सुन लिया था।
राजा ने सिपाहियों को आदेश दिया कि साधु महाराज को इज्जत के साथ दरबार में ले आओ। सिपाहियों ने साधु महाराज को इज्जत के साथ दरबार में लेकर गए।
अब राजा ने साधु से उसके द्वारा कही गई बात का अर्थ बताने के लिए कहा। तब साधु ने कहा, “राजन, किस्मत के दो पहलू अवश्य होते है। एक राजा के रूप में आप है और दूसरा मैं रंक के रूप में आपके सामने हूँ।”
साधु की बात से राजा बहुत खुश हुआ और उसे और भी सार गर्भित बातें बताने के लिए कहने लगा। साधु बोला, “राजन, इस समय हमारे बत्तीस नौकर हमे छोड़कर चले गए है।
आपके जैसे हमारी भी पांच पटरानियां थी जो इस समय वृद्ध हो चुकी है। जिस तरह से आप सुंदर महल के मालिक है उसी तरह मैं भी एक सुंदर महल का मालिक था लेकिन अब वह महल जर्जर हो गया है और कभी भी गिर सकता है।
हमारी तपस्या की ताकत इतनी है कि समुद्र भी हमे रास्ता प्रदान करता है। मैं समुद्र में ऐसी जगह आपको दिखा सकता हूँ जहां ढेर सारे हीरे जवाहरात है। अगर आप चाहे तो स्वयं ही देख सकते है।”
दरबार में उपस्थित किसी को भी यह बात समझ में नहीं आई। राजा साधु की बात का रहस्य समझ गया था। उसने साधु को दस अशर्फिया देने का आदेश दिया।
साधु ने कहा, “क्या आपके राज्य में भयंकर अकाल पड़ा था जो आप हमे केवल दस अशर्फी ही दे रहे है ?”
तब राजा ने साधु को एक सौ अशर्फिया देने का आदेश दिया। साधु ने एक सौ अशर्फियों के देखते ही खुश होकर बोला, “राजन, आपके राज्य में यह सौभाग्य का संकेत है।”
साधु राज दरबार से चला गया। तब राजा का मंत्री कहने लगा, “राजन, आपने उस साधु को इतनी अशर्फिया क्यों दे दिए ?”
राजा ने मंत्री से कहा, “मैं तुम सभी को साधु की बात का अर्थ समझाता हूँ। वह साधु भी कभी यौवन से पूर्ण था। जो उसका खूबसूरत महल था वृद्धावस्था के साथ ही उसका वह महल जीर्ण हो गया है।
दूसरा उसके बत्तीस नौकर चले गए यानी कि उसके सभी दांत टूट चुके है। उसकी पांच पटरानि उसकी पांच इन्द्रिया थी जो अब कर्म करने में समर्थ नहीं है। समुद्र से मतलब हमारा राज्य है जहां साधु संतो की भरपूर सेवा होती है।”
राजा की बात सुनकर सभी दरबारी चुप हो गए। राजा ने उस साधु को बुलाकर अपना प्रधान सलाहकार बना लिया था।
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