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Kanakadhara Stotram Pdf in Hindi
कनकधारा स्त्रोत हिंदी Pdf
पुस्तक का नाम | Kanakadhara Stotram Pdf in Hindi |
साइज | 2 Mb |
भाषा | हिंदी, संस्कृत |
श्रेणी | धार्मिक |
फॉर्मेट | |
कुल पृष्ठ | 15 |

Kanakadhara Stotram Lyrics in Hindi
Kanakadhara Stotram Lyrics in Hindi
श्रीकनकधारास्तोत्रम्
अंगहरे पुलकभूषण माश्रयन्ती भृगांगनैव मुकुलाभरणं तमालम।
अंगीकृताखिल विभूतिरपांगलीला मांगल्यदास्तु मम मंगलदेवताया:।।1।।
मुग्ध्या मुहुर्विदधती वदनै मुरारै: प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि।
माला दृशोर्मधुकर विमहोत्पले या सा मै श्रियं दिशतु सागर सम्भवाया:।।2।।
विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्षमानन्द हेतु रधिकं मधुविद्विषोपि।
ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्द्धमिन्दोवरोदर सहोदरमिन्दिराय:।।3।।
आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्दमानन्दकन्दम निमेषमनंगतन्त्रम्।
आकेकर स्थित कनी निकपक्ष्म नेत्रं भूत्यै भवेन्मम भुजंगरायांगनाया:।।4।।
बाह्यन्तरे मधुजित: श्रितकौस्तुभै या हारावलीव हरिनीलमयी विभाति।
कामप्रदा भगवतो पि कटाक्षमाला कल्याण भावहतु मे कमलालयाया:।।5।।
कालाम्बुदालिललितोरसि कैटभारेर्धाराधरे स्फुरति या तडिदंगनेव्।
मातु: समस्त जगतां महनीय मूर्तिभद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनाया:।।6।।
प्राप्तं पदं प्रथमत: किल यत्प्रभावान्मांगल्य भाजि: मधुमायनि मन्मथेन।
मध्यापतेत दिह मन्थर मीक्षणार्द्ध मन्दालसं च मकरालयकन्यकाया:।।7।।
दद्याद दयानुपवनो द्रविणाम्बुधाराम स्मिभकिंचन विहंग शिशौ विषण्ण।
दुष्कर्मधर्ममपनीय चिराय दूरं नारायण प्रणयिनी नयनाम्बुवाह:।।8।।
इष्टा विशिष्टमतयो पि यथा ययार्द्रदृष्टया त्रिविष्टपपदं सुलभं लभंते।
दृष्टि: प्रहूष्टकमलोदर दीप्ति रिष्टां पुष्टि कृषीष्ट मम पुष्कर विष्टराया:।।9।।
गीर्देवतैति गरुड़ध्वज भामिनीति शाकम्भरीति शशिशेखर वल्लभेति।
सृष्टि स्थिति प्रलय केलिषु संस्थितायै तस्यै नमस्त्रि भुवनैक गुरोस्तरूण्यै ।।10।।
श्रुत्यै नमोस्तु शुभकर्मफल प्रसूत्यै रत्यै नमोस्तु रमणीय गुणार्णवायै।
शक्तयै नमोस्तु शतपात्र निकेतानायै पुष्टयै नमोस्तु पुरूषोत्तम वल्लभायै।।11।।
नमोस्तु नालीक निभाननायै नमोस्तु दुग्धौदधि जन्म भूत्यै ।
नमोस्तु सोमामृत सोदरायै नमोस्तु नारायण वल्लभायै।।12।।
सम्पतकराणि सकलेन्द्रिय नन्दानि साम्राज्यदान विभवानि सरोरूहाक्षि।
त्व द्वंदनानि दुरिता हरणाद्यतानि मामेव मातर निशं कलयन्तु नान्यम्।।13।।
यत्कटाक्षसमुपासना विधि: सेवकस्य कलार्थ सम्पद:।
संतनोति वचनांगमानसंसत्वां मुरारिहृदयेश्वरीं भजे।।14।।
सरसिजनिलये सरोज हस्ते धवलमांशुकगन्धमाल्यशोभे।
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीद मह्यम्।।15।।
दग्धिस्तिमि: कनकुंभमुखा व सृष्टिस्वर्वाहिनी विमलचारू जल प्लुतांगीम।
प्रातर्नमामि जगतां जननीमशेष लोकाधिनाथ गृहिणी ममृताब्धिपुत्रीम्।।16।।
कमले कमलाक्षवल्लभे त्वं करुणापूरतरां गतैरपाड़ंगै:।
अवलोकय माम किंचनानां प्रथमं पात्रमकृत्रिमं दयाया : ।।17।।
स्तुवन्ति ये स्तुतिभिर भूमिरन्वहं त्रयीमयीं त्रिभुवनमातरं रमाम्।
गुणाधिका गुरुतरभाग्यभागिनो भवन्ति ते बुधभाविताया:।।18।।
।। इति श्री कनकधारा स्तोत्रं सम्पूर्णम् ।।
कनकधारा स्त्रोत्र और उसके चमत्कार Kanakadhara Stotram Pdf in Hindi
कनक धारा स्त्रोत्र में हरिप्रिया भगवती लक्ष्मी की स्त्रोत्र द्वारा स्तुति की गयी है। इसके पाठ से महालक्ष्मी अपने भक्तो पर अति शीघ्र प्रसन्न होकर उसे हर प्रकार सम्पन्न कर देती है तथा अपने भक्तो की सभी बाधाएं समाप्त कर देती है। इस स्त्रोत्र के पाठ का तरीका एकदम सरल है इसे दिन में केवल एक बार पाठ अवश्य करना होता है।
इस स्त्रोत्र के पाठ करने से आर्थिक सम्पन्नता प्राप्त होती है जिससे व्यक्ति का जीवन सुखमय हो जाता है और महालक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है।
कनकधारा स्त्रोत्र का उल्लेख पुराणों में भी हुआ है। कनकधारा स्त्रोत्र और कनकधारा यंत्र दोनों ही चमत्कारिक लाभ प्रदान करते है। कनकधारा स्त्रोत्र सिद्ध स्त्रोत्र है। सिद्ध होने से यह सदा चैतन्य रहता है।
कनकधारा स्त्रोत्र की विशेषता
कनकधारा स्त्रोत्र के पाठ करने के लिए किसी विशेष पूजा, जाप, विधि-विधान एवं माला इत्यादि की आवश्यकता नहीं रहती है। प्रतिदिन एक बार पढ़ना ही पर्याप्त रहता है। कनकधारा यंत्र लाकर पूजा स्थान पर रख करके उसके सामने प्रतिदिन दीपक और धूप अवश्य करना चाहिए। यह एक सिद्ध स्त्रोत्र है इसलिए सदैव ही चैतन्य रहता है।
कनकधारा यंत्र
मां भगवती लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए जितने भी यंत्र है उन सबमे कनकधारा स्त्रोत्र और एक कनकधारा यंत्र सबसे ज्यादा प्रभावशाली और अतिशीघ्र फलदायी होता है।
यह पूजा सामाग्री के दुकान पर आसानी से उपलब्ध रहता है। मनुष्य को अपने जीवन की आर्थिक दशा को सुधारने के लिए कनकधारा स्त्रोत्र का पाठ प्रतिदिन करना चाहिए तथा कनकधारा यंत्र की पूजा भी प्रतिदिन करनी चाहिए जिससे आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होकर विपत्ति से छुटकारा मिलता है।
कनकधारा स्त्रोत्र के अंश का हिंदी अनुवाद
शेषशायी भगवान विष्णु की धर्मपत्नी श्री लक्ष्मी जी के नेत्र हमे ऐश्वर्य प्रदान करने वाले हो जिनकी पुतली तथा वरौनियां अनंग के वशीभूत होकर अधखुले साथ ही अपलक (निर्निमेष) नयनो से देखने वाले आनंदकंद श्री मुकुंद को अपने निकट पाकर कुछ तिरछी हो जाती है।
जैसे भ्रमरी महान कमल दल पर मडराती रहती है उसी प्रकार जो श्री हरि के मुख़ार बिंद की ओर बराबर प्रेम पूर्वक जाती है और लज्जा के कारण लौट आती है। समुद्र कन्या लक्ष्मी की वह मनोहर मुग्ध दृष्टि माला मुझे धन सम्पत्ति प्रदान करे।
जो भगवान मधुसूदन के कौस्तुभ मणि मंडित वक्षस्थल में इंद्रनीलमयी हारावली सी सुशोभित होती है तथा उनके भी मन में प्रेम का संचार करने वाली है। वह कमलकुंज वासिनी कमला की कटाक्ष माला मेरा कल्याण करे।
जैसे भ्रमरी अधखिले कुसुमो से अलंकृत तमाल तरु का आश्रय लेती है। उसी प्रकार जो प्रकाश श्री हरि के रोमांच से सुशोभित श्री अंगो पर निरंतर पड़ता रहता है तथा जिसमे सम्पूर्ण ऐश्वर्य का निवास है। सम्पूर्ण मंगल की अधिष्ठात्री देवी भगवती महालक्ष्मी का वह कटाक्ष मेरे लिए मंगलदायी हो।
मधुहन्ता श्री हरि को भी अधिकाधिक आनंद प्रदान करने वाली जो सम्पूर्ण देवताओ के अधिपति इंद्र के पद का वैभव विलास देने में समर्थ है तथा जो नील कमल के भीतरी भाग के समान मनोहर जान पड़ते है उन लक्ष्मी जी के अधखुले नेत्रों की दृष्टि क्षणभर के लिए मुझपर थोड़ी सी अवश्य पड़े।
जिसके प्रभाव से कामदेव ने मंगलमय भगवान मधुसूदन के हृदय में प्रथम बार स्थान प्राप्त किया। समुद्र कन्या कमला की वह मंद, अलस, मंथर और अर्धोन्मीलित दृष्टि यहां मुझपर पड़े। पद्मासना पद्मा की दया से विशिष्ट बुद्धि वाले मनुष्य जिनके प्रीति पात्र होकर जिस दया दृष्टि के प्रभाव से स्वर्गपद को सहज ही प्राप्त कर लेते है वह विकसित कांतिमयी दृष्टि मुझे मनोवंछित पुष्टि प्रदान करे।
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Kanakadhara Stotram Lyrics in Kannada pdf
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कनकधारा स्तोत्र गीता प्रेस के
कनकधारा स्तोत्र गीता प्रेस के
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