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About The Book
रतन ठाकुर गांव के चौधरी थे। उनका स्वभाव बड़ा मीठा था। न केवल माधोपुर गांव के बल्कि आसपास के तमामलोग उन्हें चाहते थे। यदि किसी के घर कोई दुख आ पड़ता तो चौधरी बिना बुलाये चले जाते और उसकी मदद करते ।
काफी जमोन और बाग-बगीचों के मालिक होकर भी उन्हें घमण्ड नहीं था | वे आलसी भी नहीं थे। अपने खेतों में मजदूरों के साथ वे स्वयं काम करते थे। काम करने वालों का हौसला बढ़ाते थे । उनके लिए ऊंच-तीच सब बराबर थे।
लालू नाम का उनका एक लड़का था। गांव के पंडितजी उसे पढ़ाते थे । पढ़ने-लिखने में लाल बहुत होशियार था। पढ़ने के बाद फरसत के समय उसके पिता उसे काम करने की सलाह दिया करते थे। परंतु लाल पढ़ने-लिखने में ही अधिक लगा रहता था । एकमात्र पुत्र होने के कारण उसके पिता का उस पर अट्टठ प्रेम था ।
अचानक ही एक दिन चौधरी को बुखार हो आया। उसके पहले उन्हें कभों-कभी पेट में दर्द होने की शिकायत थी। परंतु इस बार उनकी हालत गंभीर हो गई। एक-सें-एक बढ़कर वेद्य और हकीम आये। सबने अपने-अपने ढंग से उनका इलाज किया। लेकिन बात बिगड़ती ही गई। चौधरी को भी विश्वास हो गया कि अब उनका अच्तिम समय आ पहुंचा है।
उसी दिन शाम को चौधरी ने लालू को अपने पास बुलाया और कहा–‘ देखो बेटे, अब मैं बचूंगा नहीं । मैंने अपनी जिंदगी में अपनी समझ से जो भी अच्छे काम हो सकते हैं, किये हैं। ये पर-द्वार, बाग-बगीचे सब मेरी मेहनत के ही फल हैं। मैंने
ईमानदार रहकर ही यह सब कुछ किया है।
पुस्तक का नाम | Hariye Na Himmat PDF |
पुस्तक के लेखक | श्री राम शर्मा |
भाषा | हिंदी |
साइज | 1 Mb |
पृष्ठ | 10 |
श्रेणी | प्रेरक |
फॉर्मेट |
हारिये न हिम्मत Pdf Download


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