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Hanuman Bahuk Pdf
छप्पय
सिंधु तरन, सिय-सोच हरन, रबि बाल बरन तनु ।
भुज बिसाल, मूरति कराल कालहु को काल जनु ॥
गहन-दहन-निरदहन लंक निःसंक, बंक-भुव ।
जातुधान-बलवान मान-मद-दवन पवनसुव ॥
कह तुलसिदास सेवत सुलभ सेवक हित सन्तत निकट ।
गुन गनत, नमत, सुमिरत जपत समन सकल-संकट-विकट ॥
स्वर्न-सैल-संकास कोटि-रवि तरुन तेज घन ।
उर विसाल भुज दण्ड चण्ड नख-वज्रतन ॥
पिंग नयन, भृकुटी कराल रसना दसनानन ।
कपिस केस करकस लंगूर, खल-दल-बल-भानन ॥
कह तुलसिदास बस जासु उर मारुतसुत मूरति विकट ।
संताप पाप तेहि पुरुष पहि सपनेहुँ नहिं आवत निकट ॥
झूलना
पञ्चमुख-छःमुख भृगु मुख्य भट असुर सुर, सर्व सरि समर समरत्थ सूरो ।
बांकुरो बीर बिरुदैत बिरुदावली, बेद बंदी बदत पैजपूरो ॥
जासु गुनगाथ रघुनाथ कह जासुबल, बिपुल जल भरित जग जलधि झूरो ।
दुवन दल दमन को कौन तुलसीस है, पवन को पूत रजपूत रुरो ॥
घनाक्षरी
भानुसों पढ़न हनुमान गए भानुमन, अनुमानि सिसु केलि कियो फेर फारसो ।
पाछिले पगनि गम गगन मगन मन, क्रम को न भ्रम कपि बालक बिहार सो ॥
कौतुक बिलोकि लोकपाल हरिहर विधि, लोचननि चकाचौंधी चित्तनि खबार सो।
बल कैंधो बीर रस धीरज कै, साहस कै, तुलसी सरीर धरे सबनि सार सो ॥
भारत में पारथ के रथ केथू कपिराज, गाज्यो सुनि कुरुराज दल हल बल भो ।
कह्यो द्रोन भीषम समीर सुत महाबीर, बीर-रस-बारि-निधि जाको बल जल भो ॥
बानर सुभाय बाल केलि भूमि भानु लागि, फलँग फलाँग हूतें घाटि नभ तल भो ।
नाई-नाई-माथ जोरि-जोरि हाथ जोधा जो हैं, हनुमान देखे जगजीवन को फल भो ॥
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हनुमान बाहुक पाठ से लाभ
अंजनी नंदन हनुमान सदैव ही वंदनीय है और अपने ऊपर आश्रित भक्तो की सभी कठिनाई का अंत करते है। इन्हे भगवान शिव का ग्यारहवां रुद्रावतार माना गया है। मान्यताओं के अनुसार यदि कही पर भी राम चरित मानस अथवा राम जी संबंधित कोई भी पाठ तथा हनुमान चालीसा इत्यादि का पठन-पाठन होता है तो वहां महावीर स्वयं किसी न किसी रूप में उपस्थित रहते है।
हनुमान चालीसा की भांति हनुमान बाहुक के चमत्कारिक लाभ प्राप्त होते है। हनुमान जी को संकट मोचक कहा जाता है। हनुमान बाहुक का पाठ करने वाले के सभी कष्ट महावीर हनुमान महावीर हनुमान जी की कृपा से दूर हो जाते है। संत प्रवर तुलसी दास जी श्री राम जी तथा हनुमान जी के परम भक्त माने है।
उन्होंने ही हनुमान चालीसा की रचना किया था तथा हनुमान बाहुक भी तुलसीदास द्वारा विरचित है। जिसका नियमित पाठ करने से व्यक्ति आरोग्य प्राप्त करता है। हनुमान बाहुक में 44 चौवालीस चरण होते है और इन चौवालीस चरणों का पाठ करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते है।
हनुमान बाहुक के पाठ से व्यक्ति आस-पास एक रक्षा कवच का निर्माण हो जाता है जिस कारण से कोई भी नकारात्मक शक्ति उसे हानि नहीं पहुंचा सकती है। हनुमान बाहुक पाठ नियमित रूप से भी किया जाना चाहिए ऐसा करने पर अंजनी नंदन सदैव अपने भक्तो का कल्याण करते है।
हनुमान बाहुक के पाठ से कंठ दर्द, गठिया वात, जोड़ के दर्द तथा अन्य कई रोगो में लाभ प्राप्त होता है। यदि जीवन में किसी भी कार्य में रुकावट हो रही है तो हनुमान बाहुक का पाठ लाभ प्रद होता है और कार्य सुचारु रूप से सम्पन्न हो जाता है।
हनुमान बाहुक Pdf Download
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