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Gujarat Files Pdf Hindi
एक गांव में एक किसान रहता था। वह बहुत मेहनत करता था। लेकिन लक्ष्मी की उसके ऊपर कृपा नहीं होती थी। वह किसान एक दिन एक महात्मा के पास जाकर अपनी परेशानी बताने लगा।
महात्मा जी बहुत कोमल स्वभाव के थे। वह किसान की बात सुनकर द्रवित हो गए। महात्मा जी किसान से बोले, “मैं तुम्हारी कठिनाइयों का निवारण तो नहीं कर पाऊंगा लेकिन मैं तुम्हे बांके बिहारी के पास ले जाऊंगा। तुम उन्हें अपनी कठिनाइया बता देना वह तुम्हारी सहायता अवश्य ही करेंगे क्योंकि जो भी उनके पास जाता है कभी खाली हाथ वापस नहीं आता है।”
महात्मा जी बांके बिहारी के भक्त थे। वह किसान को लेकर बांके बिहारी के मंदिर में गए। किसान वहां जाकर बांके बिहारी को अलपक निहारता ही रह गया। तभी बांके बिहारी के बिश्राम का समय हो गया था।
मुख्य पुजारी ने बांके बिहारी के भवन का दरवाजा बंद कर दिया था। लेकिन किसान तो बांके बिहारी की सुंदरता पर रीझ गया था। वह रुककर भवन का दरवाजा खुलने की राह देखने लगा।
कुछ समय के बाद मुख्य पुजारी ने दरवाजा खोला तब किसान काफी देर तक बांके बिहारी को निहारता रहा। अब किसान अपने घर लौट कर आ गया था।
किसान की हालत धीरे-धीरे अच्छी होने लगी थी। एक दिन किसान के गांव का एक आदमी बांके बिहारी का दर्शन करने जा रहा था।
तब वह किसान उस आदमी को 500 रुपये देते हुए बोला, “भाई तुम इस पैसे से बांके बिहारी के लिए पोशाक बनवाकर हमारी तरफ से अर्पित कर देना और उनके भोग लगाने का भी प्रबंध कर देना।”
वह आदमी बांके बिहारी के दर्शन के लिए चला गया। बांके बिहारी मंदिर पहुंचकर उस आदमी ने किसान द्वारा दिए पैसे से एक गुलाबी रंग की पोशाक बनवाकर बांके बिहारी को समर्पित किया और भोग लगाने का प्रबंध भी किया।
लेकिन इस कार्य में उसके अपने भी 280 रुपये खर्च हो गए थे। उस गुलाबी पोशाक में बांके बिहारी की सुंदरता बहुत ही भव्य लग रही थी।
उसी दिन रात में बांके बिहारी ने किसान को स्वप्न में दर्शन दिया और बोले, “तुमने हमारे लिए जो गुलाबी रंग की पोशाक अर्पण करवाई थी उसे मैंने स्वीकार किया है और तुम्हारे द्वारा अर्पित भोग भी मैंने स्वीकार कर लिया है। लेकिन तुमने जिस आदमी से हमारे लिए यह सब कुछ करवाया है उसके 280 रुपये ज्यादा लग गए है। तुम उस व्यक्ति को वह पैसे अवश्य ही लौटा देना।”
दूसरे दिन वह आदमी लौटकर आया तब किसान उसे 280 रुपये देने लगा। तब उस आदमी ने पूछा, “किस लिए यह पैसे मुझे दे रहे हो ?”
तब किसान बोला, “हमे बांके बिहारी ने दर्शन देकर कहा मैं तुम्हे 280 रुपये लौटा दूँ। बांके बिहारी जी गुलाबी रंग की पोशाक पहने हुए थे।”
तब उस आदमी को विश्वास हो गया कि बांके बिहारी ने किसान को दर्शन दिए है क्योंकि वह आदमी वही गुलाबी पोशाक बांके बिहारी को अर्पण कर आया था। किसान की ऐसी भक्ति देखकर वह आदमी किसान के सामने नतमस्तक हो गया था।
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