नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको 101 + Essay Topics in Hindi 2022 देने जा रहे हैं। आप नीचे की Essay Topics Hindi के बारे में पढ़ सकते हैं और आप यहां से Top Debate Topics in Hindi भी पढ़ सकते हैं।
Essay Topics in Hindi / हिंदी निबंध टॉपिक्स इन हिंदी
1- गाय पर निबंध
2- सरदार वल्लभ भाई पटेल पर निबंध
3 – महात्मा गांधी पर निबंध
4 – चंद्रशेखर आज़ाद पर निबंध
5 – भगत सिंह पर निबंध
6 – झांसी की रानी पर निबंध
7 – 26 जनवरी पर निबंध
8 – 15 अगस्त पर निबंध
9 – होली पर निबंध
10 – दीपावली पर निबंध
11 – वसंत पंचमी पर निबंध
12 – दसहरा पर निबंध
13 – रक्षाबंधन पर निबंध
14 – छठ पूजा पर निबंध
15 – क्रिसमस पर निबंध
16 – हॉकी खेल पर निबंध
17 – मोर पर निबंध
18 – कमल पर निबंध
19 – भारतीय राजनीति पर निबंध
20 – भारतीय अर्थव्यवस्था पर निबंध
21 – भ्रष्टाचार पर निबंध
22 – सामाजिक व्यवस्था पर निबंध
23 – टेलीविजन पर निबंध
24 – मोबाइल पर निबंध
25 – शिक्षा व्यवस्था पर निबंध
26 – इंटरनेट पर निबंध
27 – वर्षा ऋतू पर निबंध
28 – ग्रीष्म ऋतू पर निबंध
29 – शरद ऋतू पर निबंध
30 – शरद पूर्णिमा पर निबंध
31- बाल विवाह पर
32 – राष्रभाषा हिंदी पर
34 – पर्यावरण पर
35 – सड़क दुर्घटना पर
36 – भारत में स्वास्थ्य व्यवस्था पर
37 – भारतीय समाज में नारी का स्थान पर
38 – आम पर
39 – पेड़ – पौधों पर
40 – शुद्ध हवा पर
41 – ग्लोबल वार्मिंग पर
42 – नदी पर निबंध
43 – मकर संक्रांति पर
44 – भारत के गाँव पर निबंध
45 – शहरीकरण पर निबंध
46 – दूरदर्शन पर निबंध
47 – मेरा विद्यालय पर
48 – परोपकार पर
49 – विज्ञान के चमत्कार
50 – नारी शिक्षा पर
51 – समय का सदुपयोग
52 – फास्ट फ़ूड पर
53 – देशप्रेम पर
54 – गांधी जयंती पर
55 – नया साल पर
56 – लालबहादुर शास्त्री जी पर
57 – अटल विहारी वाजपेयी जी पर
58 – रामधारी सिंह ” दिनकर ” जी पर
59 – जय प्रकाश नारायण जी पर
60 – कम्यूटर पर निबंध
61 – मोबाइल पर निबंध
62 – शिक्षक दिवस पर
63 – जन्माष्टमी पर
64 – बाल दिवस पर
65 – त्योहारों के महत्व पर
66 – नवरात्रि पर निबंध
67 – पराधीनता पर
68 – जल संरक्षण पर
69 – डिजिटलीकरण पर
70 – सामाजिक बुराइयों पर
71 – बेरोजगारी पर
72 – जनसंख्या पर
73 – प्रकृति पर
74 – बालश्रम पर
75 – भूकंप पर
76 – स्वच्छ भारत पर
77 – स्वामी विवेकानंद पर
78 – मदर टेरेसा पर
79 – लोकमान्य तिलक पर
80 – गुरु नानक देव जी पर निबंध
81 – गौतम बुद्ध जी पर निबंध
82 – बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जी पर निबंध
83 – राजा राम मोहन राय पर
84 – दहेज़ प्रथा पर
85 – सुभाष चंद्र बोस पर
सरदार वल्लभ भाई पटेल पर निबंध Essay on Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi
प्रस्तावना
सरदार वल्लभ झबेर भाई भारत मां के महान सपूतो में से एक थे उनका नाम बड़ी श्रद्धा और सम्मान का पात्र है। उनके सिद्धांत पर्वतो से भी ऊँचे और अडिग रहते थे। उनकी दृढ इच्छा शक्ति के कारण ही उन्हें लौह पुरुष कहा जाता था।
वह बाहर से बहुत कठोर थे और भीतर उनका स्वभाव बहुत ही कोमल तथा मृदु था। उनकी इस गुण को देखकर भारत के अंतिम गवर्नर लार्ड माउंट वेटन ने उन्हें अखरोट के फल की उपमा प्रदान किया था जो बाहर से देखने में कठोर तथा अंदर से काफी मुलायम होता है।
सरदार पटेल का जन्म परिचय
सरदार वल्लभ भाई पटेल जी का जन्म एक धार्मिक विचार से पूर्ण परिवार में गुजरात के खेड़ा जिला और करमसद नामक ग्राम 31 अक्टूबर सन 1875 को हुआ था।
सरदार पटेल के पिता श्री झावेरभाई पटेल प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के एक वीर सैनिक थे, जिनके पूर्वज धार्मिक विचारो के थे। इसलिए वल्लभ भाई को ईश्वर भक्ति के साथ ही देश भक्ति विरासत में ही मिली थी।
सरदार पटेल की शिक्षा और उनका प्रारंभिक जीवन
सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रारंभिक शिक्षा उनके गांव में हुई थी। वह मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके थे और आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहते थे लेकिन उनके घर की आर्थिक स्थिति से रुकावट पैदा हो गई। वह कानून की उच्च शिक्षा के लिए लंदन जाना चाहते थे। आर्थिक स्थिति के चलते ऐसा संभव न हो सका था।
उस समय ऐसा नियम था कि कोई भी व्यक्ति ‘मुख्त्यारी’ की परीक्षा उत्तीर्ण करके वकालत कर सकता था। वल्लभ भाई पटेल ने यही रास्ता पकड़ना उचित समझा। वह ‘मुख्त्यारी’ की परीक्षा उत्तीर्ण करके गोधरा जो पास ही एक जिला था।
वहां फौजदारी मुकदमे की वकालत करने लगे। उनकी ईमानदारी छवि और दृढ इच्छा शक्ति से भी लोग प्रभावित थे। वल्लभ भाई पटेल द्वारा समाज सेवा का कार्य – सरदार वल्लभ भाई पटेल सामाजिक कार्यो में बढ़-चढ़कर भागीदारी करते थे।
लेकिन साथ ही अपने व्यवसाय (वकालत) को बड़ी ईमानदारी के साथ पूरा करते थे। एक बार गोधरा में प्लेग की भयंकर बीमारी फैली हुई थी। वह अपनी पत्नी के साथ दीन दुखी की सेवा में तत्पर हो गए क्योंकि उनका विश्वास था कि दीन-दुखी की सेवा ही सर्वोपरि है।
रोगियों की सेवा करते हुए इनकी पत्नी भी प्लेग की चपेट में आ गयी। बहुत उपचार के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका, वह असमय ही वल्लभ भाई का छोड़कर चली गई।
पत्नी का असमय साथ छोड़ना बहुत ही असहज करने वाला समय था। लेकिन वल्लभ भाई अपने कर्तव्य से विचलित नहीं हुए और प्लेग के रोगियों की सेवा करते रहे। उस समय उनकी आयु मात्र 35 वर्ष थी। पत्नी के साथ छोड़ने के बाद आजीवन विवाह नहीं किया।
गोधरा कांड आंदोलन में वल्लभ भाई पटेल की भूमिका
गोधरा में वेगार प्रथा के अंतर्गत अग्रेज अधिकारी जनता का शोषण करते थे। इस प्रथा को बंद करने के लिए वहां आंदोलन चल रहा था। सन 1916 बेगार प्रथा को बंद करने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया।
वल्लभ भाई उस कमेटी के मंत्री बनाये गए (अंग्रेज अधिकारी अपनी शान-शौकत के लिए बिना पारिश्रमिक दिए ही कुली की तरह जनता का उपयोग करते थे इसे ही बेगार प्रथा ही कहा जाता है।)
सारा आंदोलन वल्लभ भाई के नेतृत्व में ही चलाया गया था। उस आंदोलन में कठोर परिश्रम के उपरांत ही उन्हें विजय प्राप्त हुई और सरकार को बेगार प्रथा बंद करनी पड़ी।
राष्ट्रीय आंदोलन में वल्लभ भाई पटेल की सक्रियता
गोधरा आंदोलन के बाद से ही सरदार पटेल की कांग्रेस द्वारा संचालित आंदोलनों सरदार पटेल की सक्रियता बढ़ गई थी। गाँधी जी द्वारा खेड़ा सत्याग्रह आरंभ किया गया था, इस आंदोलन में पटेल पूरी निष्ठा और त्याग के साथ जुड़े हुए थे।
गाँधी जी ने उनकी संगठन शक्ति और कर्मठ वीरता को देखकर उनकी बहुत सराहना किया था। वल्लभ भाई रोलेट एक्ट के विरोध में किये गए सत्याग्रह में गाँधी जी के साथ सदा अग्रणी थे।
उसी समय में अंग्रेजो ने गाँधी जी को बंदी बना लिया लेकिन सरदार पटेल के प्रयास से वह आंदोलन सिथिल नहीं हुआ। उनकी इस नेतृत्व क्षमता को देखकर उन्हें सन 1921 में गुजरात में कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बना दिया गया।
वल्लभ भाई पटेल द्वारा कांग्रेस का नेतृत्व
सन 1930 में सभी नेताओ के साथ ही ब्रिटिश की सरकार ने नमक सत्याग्रह आंदोलन में सरदार पटेल को भी बंदी बना लिया था। सन 1931 में सर्वसम्मति से सरदार पटेल का कराचा में जो कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था उसमे उन्हें सभापति चुना गया था।
1935 में सरदार पटेल के नेतृत्व में कांग्रेस को सात प्रांतो में पूर्ण रूप से बहुत सफलता प्राप्त हुई और इन प्रांतो में कांग्रेस की सरकार बन गई थी। 1935 में ही कांग्रेस के प्रांतीय चुनाव में भाग लिया था।
उस समय 1935 ही कांग्रेस की शानदार सफलता को देखकर जिसका नेतृत्व सरदार पटेल ने लिया था उन्हें पार्लियामेंट्री बोर्ड का अध्यक्ष चुना गया था
सरदार पटेल द्वारा देसी रियासतों का विलय
सरदार पटेल देश के उपप्रधान मंत्री और गृहमंत्री भी थे इस नव स्वतंत्र भारत में अनेक पिचीदा समस्याए थी। भारत के स्वतंत्र होने से पूर्व ही भारत 600 देशी रियासते थी।
उन सभी को भारतीय संघ मे मिलाना अनिवार्य था। जिस देशी राजाओ ने अपनी रियासतों को भी संघ में मिलाने की आना-कानी किया उनके साथ कठोरता का व्यवहार करते हुए उन्हें अपनी रियासतों को भारत में विलय करने के लिए बाध्य कर दिया।
सरदार पटेल भारत गृहमंत्री भी थे। उन्होंने अपनी कुशल नीति और राजनीती सूझ बूझ के द्वारा सभा देशी रियासतों से हलकर दिया।
देशी रियासतों के विलय कार्य उन्ही सरदार पटेल के ऊपर था। जो सरदार पटेल जैसे व्यक्ति ही संभव कर सकते थे। ऐसे महान जननायक का 15 दिसंबर 1950 को स्वर्गवास हो गया। वह भारत को बीच भंवर में ही छोड़कर चले गए। उनके जाने से देश में शोक की लहर दौड़ गई।
गाय निबंध पर निबंध
प्रस्तावना
भारत देश में गाय को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि गाय के शरीर में 33 करोड़ देवी-देवताओ का वास होता है।
भारत में गाय को लोग पूजते है और उसे गौ माता कहते है, गाय का संबंध भगवान कृष्ण से भी जुड़ा हुआ है क्योंकि उन्हें गाय बहुत पसंद थी और वह उन्हें खूब प्यार करते थे।
गाय एक पालतू पशु है और यह पूरे विश्व में आमतौर पर पायी जाती है। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की 2012 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 190 मिलियन गायो की जनसंख्या है। विश्व में सबसे ज्यादा गाय भारत में ही पायी जाती है।
गाय की नस्ले
भारत में कई नस्ल की गाय मिलती है इनमे से कुछ प्रमुख है-
साहिबाल गाय
यह मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में पायी जाती है।
गिर नस्ल की गाय
मुख्य रूप से इसे दक्षिण भारत में पाया जाता है।
लाल सिंधी गाय
यह लाल रंग की गाय होती है जो प्रमुख रूप से पंजाब में मिलती है।
राठी नस्ल की गाय
राजस्थान में मुख्य रूप से यह गाय मिलती है। राजस्थान के बाड़मेर, सिरोही तथा जालौर नामक जिले में इसे पाया जाता है।
थरपाकर नस्ल की गाय
मुख्य रूप से यह गाय राजस्थान के जोधपुर, जैसलमेर तथा गुजरात के कुछ हिस्सों में मिलती है।
गाय की शारीरिक बनावट
गाय की शारीरिक बनावट में एक मुंह, एक पूंछ, चार पैर, चार थन, दो नथुने, दो कान तथा दो सींग होते है। गाय अपनी लंबी पूंछ से मक्खियों को उड़ाने का कार्य करती है। गाय की प्रमुख जातियां ऐसी होती है जिनके सींग नहीं होती है।
गाय कई रंगो में पायी जाती है। जैसे- सफेद, काली, भूरी, लाल, मटमैली तथा चितकवार जो काला और सफेद एक साथ होता है। गाय के पैरो के नीचे एक काले रंग की मजबूत हड्डी होती है जिसे खुर कहा जाता है जो गाय को चलने में मदद करता है। गाय की जीवन काल दस से पंद्रह वर्ष का होता है।
गाय की उपयोगिता
गाय का दूध बच्चो, महिलाओ, बच्चो के लिए बहुत लाभदायक होता है। गाय से हमे दूध प्राप्त होता है। विश्व में सबसे अधिक दूध का उत्पादन भारत में होता है।
दुग्ध उत्पादन में भारत का विश्व में पहला स्थान है। गाय का दूध सबके लिए पौष्टिक और लाभदायक होता है। हिन्दू धर्म में गाय की धार्मिक मान्यता बहुत अधिक है।
गाय के दूध से बहुत प्रकार के व्यंजन बनाये जाते है और गाय के दूध से दही, घी और मक्खन प्राप्त होता है। गाय का गोबर फसल के लिए उत्तम खाद का कार्य करता है।
प्राचीन समय में ऋषि मुनि गाय को अपने आश्रम में पालते थे और उसकी पूजा करते थे। गाय का मूत्र भी अनेक प्रकार की औषधि बनाने के कार्य में लाया जाता है। बहुत सारे पर्व पर गाय की पूजा की जाती है। गोमूत्र पूजा-पाठ तथा यज्ञ में किया जाता है।
गाय की वर्तमान स्थिति
वर्तमान में गाय की स्थिति बहुत खराब होती जा रही है क्योंकि खेती किसानी आधुनिक दौर में प्रवेश कर गई है। गाय के बछड़ो की उपयोगिता नही होने से गो वंश इधर उधर भटकते रहते है जो किसान की फसलों को हानि पहुंचाते है।
बहुत सी गाय भी कई तरह से आवारा होकर घूमती रहती है उन्हें चारा उपलब्ध नहीं हो पाता है। चरागाह खत्म हो जाने से गाय और गो वंश को पेट भरने में परेशान होना पड़ता है।
आवारा घूमने और संख्या में अधिक होने के कारण चारा-पानी नहीं उपलब्ध हो पाता तथा यह कभी-कभी पालीथीन (प्लास्टिक) खा जाते है जिस कारण से इनकी मृत्यु हो जाती है।
सरकार को चाहिए कि आवारा पशुओ को बचाने के लिए गौशाला का निर्माण कराये तथा उनके खाने और पानी पीने की व्यवस्था कराये।
गाय के विषय में दस लाइन
1- गाय का जीवन 10 से 15 साल का होता है।
2- गाय के दूध से बहुत सारे पकवान बनाये जाते है तथा उसके दूध से दही, मक्खन, घी, छाछ तथा पनीर प्राप्त होते है।
3- गाय प्राचीन पालतू जानवर है।
4- गाय हरी घास, भूसा, खली और दाना खाती है। .
5- गाय का दूध बच्चो तथा महिलाओ और पुरुषो के लिए बहुत ही लाभप्रद होता है।
6- गाय का गोबर फसल के लिए उत्तम खाद का कार्य करता है।
7- गाय के मूत्र से कई प्रकार की औषधि का निर्माण किया जाता है।
8- गाय के एक मुंह, दो सींग, दो कान, दो आँखे, दो नथुने, एक पूंछ, चार पैर तथा चार थन होते है।
9- हिन्दू धर्म में गाय को माता का दर्जा प्राप्त है।
10- ऐसी मान्यता है कि गाय के शरीर में 33 करोड़ देवी-देवताओ का वास होता है।
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