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Bhrigu Samhita Pdf / भृगु संहिता पीडीएफ
भृगु संहिता के बारे में
ब्रह्मा जी के मानस पुत्र ज्योतिष शास्त्र के महान प्रवर्तक महर्षि भृगु जी ने मानवता के उद्धार हेतु भगवान विष्णु द्वारा प्राप्त दिव्य दृष्टि से सतयुग में समुद्र मंथन से पूर्व भृगु संहिता नामक विशाल ग्रंथ लिखा था।
आज भृगु संहिता एक अप्राप्य और दुर्लभ ग्रंथ है। इस ग्रंथ में मंगली दोष, शनि दोष, मारकेश की दशा का वर्णन पाया जाता है। इस लेख में कई ज्योतिषियों द्वारा संग्रहित उपचारो को प्रस्तुत किया गया है।
इस उपचार का वर्णन वर्तमान काल के ज्योतिषी श्री अनिल वत्स के पिता स्वर्गीय पंडित श्याम सुंदर वत्स अपने एक लेख में किया है। उनके अनुसार मधुमेह शुक्रदोष के कारण होता है। उपचार के साथ ही शुक्र के मंत्र का जाप करने से मधुमेह समाप्त हो जाता है।
प्रख्यात ज्योतिषी और नक्षत्र वाणी पत्रिका के सम्पादक पंडित राधेश्याम शास्त्री ने अपने शिष्य को मधुमेह समाप्त करने के लिए मंत्र बताया था। वह मंत्र पढ़ने से सभी पाप समाप्त होकर सुख, स्त्री व पुत्र सभी मंगली दोष से मुक्त हो जाते है।
भृगु ऋषि कौन थे? जानिये उनके बारे में
वेद पुराण के अनुसार भृगु ऋषि का जन्म ब्रह्मलोक सुसानगर जो वर्तमान में इराक में स्थित है वहां 38 ईशा लाख वर्ष पूर्व हुआ था। पौराणिक धर्म ग्रंथो के अनुसार भृगु के पिता का नाम प्रणेता ब्रह्मा तथा माता का नाम वीरणी था। महर्षि भृगु के बड़े भाई का नाम अंगिरा था वह बहुत तपस्वी थे अंगिरा के पुत्र हुए वृहस्पति जो देवताओ के पथ दर्शक तथा राजगुरु थे।
भृगु ऋषि की कथा
एक बार कई ऋषि मुनि की चर्चा का विषय था कि त्रिदेवो में कौन सबसे महान है? यह चर्चा सरस्वती नदी के तट पर चल रही थी और इन त्रिदेवो की परीक्षा लेने का उत्तरदायित्व भृगु ऋषि को सौप दिया गया। अपने कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए पहले वह ब्रह्मलोक में गए और वहां पर ब्रह्मा जी को अपशब्द कहने लगे।
अकारण ही अपशब्द सुनकर ब्रह्मा जी को क्रोध उत्पन्न हो गया और वह भृगु जी को शाप देने वाले थे सहसा उन्हें ज्ञान हुआ कि भृगु तो हमारे ही मानस पुत्र है तथा उन्होंने भृगु जी को शाप नहीं दिया। भृगु जी वहां से कैलाश पर्वत पर आये जहां पर भोलेनाथ शंकर जी विराजमान थे।
भृगु जी को देखते ही भोलेनाथ उठकर खड़े हो गए तथा उनका सम्मान किया लेकिन भृगु जी ने उनका तिरस्कार करके शंकर जी को कठोर अपशब्द कहने लगे तब शंकर जी क्रोध में आकर उद्विग्न हो उठे तभी पार्वती जी ने आकर उनका क्रोध शांत कराया।
अब भृगु जी वहां गए जहां क्षीर सागर में शेष शैय्या पर सारे शृष्टि के पालनकर्ता विष्णु जी निद्रा देवी के वशीभूत होकर आंख बंद करके लेटे हुए थे। भृगु जी वहां पहुंचते ही श्री हरि के वक्षस्थल पर अपने चरण से प्रहार कर दिया, चरण प्रहार होते ही श्री हरि उठकर बैठे और सम्मुख भृगु ऋषि को देखकर उनके चरण पकड़कर सहलाते हुए बोले – ऋषिवर! कही आपके पांवो को पीड़ा तो नहीं हुई?
क्योंकि हमारा वक्षस्थल से भी कठोर है और आपके पाँव तो अत्यंत कोमल है। विष्णु जी के व्यवहार से भृगु मुनि अत्यंत लज्जित हुए और सभी ऋषियों के पास पूर्ण कथा कहकर सुनाया। सभी का एक ही मत था कि इतना आघात लगने पर भी जो क्षुब्ध नहीं हुआ वही सबसे महान है।
पुस्तक का नाम | भृगु संहिता Pdf |
पुस्तक के लेखक | भृगु ऋषि |
पुस्तक की भाषा | हिंदी |
साइज | 14 Mb |
श्रेणी | धार्मिक, ज्योतिष |
फॉर्मेट | |
कुल पृष्ठ | 714 |

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