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Bhagat Singh Jail Diary Hindi Pdf



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भगत सिंह के बारे में Bhagat Singh Jail Diary Hindi Pdf
मई में ट्रायल की कार्यवाही शुरू हुई जिसमे भगत सिंह ने अपना बचाव करने की मांग की जबकि अफसर अली ने बटुकेश्वर दत्त का प्रतिनिधित्व किया था। भगत सिंह ने जवाब दिया ‘जब आक्रामक तरीके से लागू किया जाता है तो वह हिंसा है और अनुचित है।
लेकिन बैध कारण से इसका इस्तेमाल किया जाता है तो इसका नैतिक औचित्य है। अदालत ने दुर्भावना पूर्ण और गैर क़ानूनी इरादे का हवाला देते हुए विस्फोट करने वालो के खिलाफ उम्र कैद की सजा का फैसला सुनाया।
लाहौर षड़यंत्र केस और उसका ट्रायल
28 जुलाई 1929 को राय साहब पंडित श्री किशन की अध्यक्षता में विशेष सत्र अदालत में 28 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा शुरू हुआ। सजा सुनाये जाने के बाद पुलिस ने लाहौर में एच. एस. आर. ए. की बम बनाने वाली फैक्ट्रियों पर छापा मारकर कई प्रमुख क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर लिया।
इनमे हंसराज बोहरा, फाङींद्रनाथ घोष, जयगोपाल ने सरकार के लिए अनुमोदन किया था जिसके कारण से कुल 21 क्रांतिकारियों को गिरफ्तार किया गया था। भगत सिंह, जतीन्द्रनाथ दास और राजगुरु को सांडर्स की हत्या और बम निर्माण के लिए फिर से गिरफ्तार किया गया।
इसी बीच भगत सिंह और उनके कैद हुए साथियो ने स्वेत बनाम देशी कैदियों के उपचार पक्षपात करने के कारण से अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल की घोषणा कर दिया और राजनीतिक कैदियों के रूप में मान्यता प्रदान करने की मांग करने लगे।
63 दिनों के लंबे उपवास के बाद जतीन्द्रनाथ दास की मृत्यु हो गयी। इस कारण से अधिकारियो के प्रति जन भावना का विद्रोह तीव्र हो गया। 5 अक्टूबर 1929 को भगत सिंह कांग्रेस नेतृत्व और अपने पिता के अनुरोध पर 116 दिन का उपवास तोड़ दिया।
क्रांतिकारियों पर मुकदमा चलाने के लिए एक विशेष न्यायाधिकरण की स्थापना 1 मई 1930 को वाय सराय लार्ड इरविन के निर्देश पर की गयी जिसके अन्य सदस्य न्यायमूर्ति जे. कोल्डस्ट्रीम, न्याय मूर्ति आगा हैदर और न्याय मूर्ति जी.सी. हिलटन थे।
जो यह न्यायाधिकरण एक तरफा मुकदमे में अभियुक्तों की अनुपस्थिति में कानून के अधिकारों और दिशा निर्देशों का शायद ही पालन करते थे। ट्रिब्यूनल ने 6 अक्टूबर 1930 को अपना 300 पन्नो का फैसला सुनाया।
उसमे सुखदेव, राजगुरु, भगत सिंह को सांडर्स की हत्या का आरोपी बनाया गया था और ठोस प्रमाण प्रस्तुत किए गए थे। भगत सिंह ने हत्या की बात को स्वीकार किया तथा ब्रिटिश शासन के खिलाफ बयान दिया था। उन्हें मौत की सजा सुनाई गयी थी।
भगत सिंह को फांसी की सजा का एलान
भगत सिंह और उनके साथियो राजगुरु और सुखदेव को फांसी की सजा का एलान हो गया था। 23 मार्च 1931 को सुबह सात बजकर तीस मिनट पर भगत सिंह के साथ सुखदेव और राजगुरु को लाहौर जेल में फांसी दे दी गयी थी। फांसी के बाद सतलज नदी के तट पर हुसैनीवाला में भगत सिंह और उनके साथियो का अंतिम संस्कार किया गया। ऐसा कहा जाता है कि वह तीन लोग अपने पसंदीदा नारे ‘इंकलाब जिंदाबाद’ बोलते हुए खुश होकर फांसी के फंदे पर झूल गए थे।
भगत सिंह की विरासत और उनकी लोक प्रियता Bhagat Singh Jail Diary Hindi Pdf
वर्तमान समय में उनकी प्रतिष्ठा इस बात से प्रमाणित होती है कि 2008 में भगत सिंह को इण्डिया टुडे द्वारा किए गए सर्वेक्षण में महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस से आगे महान भारतीय के रूप में वोट प्राप्त हुआ था। भगत सिंह अपने लिखित और मुखर आह्वान के माध्यम से अपनी पीढ़ी की आवाज बन गए थे जो ब्रिटिश सरकार का प्रखर विरोधी थी।
भगत सिंह की प्रखर देशभक्ति जो आदर्शवाद से जुडी थी युवाओ के लिए एक प्रेरणा श्रोत थी। गांधीवादी और अहिंसक मार्ग से स्वराज प्राप्त करने की आलोचना कई लोगो के द्वारा किया गया। भगत सिंह से प्रेरित होकर कई युवक निर्भीक होकर पूरे स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन से जुड़ गए थे।
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