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Bhagat Singh Books Pdf In Hindi / भगत सिंह बुक्स पीडीएफ
भगत सिंह बुक्स के बारे में
भगत सिंह का परिवार स्वराज प्राप्त करने के लिए गांधी की अहिंसक विचार धारा का समर्थक था। चौरी-चौरा काण्ड के बाद गांधी ने असहयोग आंदोलन को समाप्त करने का आह्वान किया जो भगत सिंह को नागवार लगा और वह गांधी की अहिंसक आंदोलन से अलग होकर युवा क्रान्तिकारी आंदोलन से जुड़ गए।
ब्रिटिश राज के हिंसक आंदोलन के सबसे प्रमुख वकील के रूप में आंदोलन यात्रा की शुरुआत हुई। मार्च 1925 में यूरोपीय राष्ट्रवादी आंदोलन से प्रेरणा लेकर भगत सिंह ने भोज सिंह के साथ इनके सचिव के रूप में नौजवान भारत सभा का संगठन तैयार किया।
जब वह बी. ए. की परीक्षा दे रहे थे। उसी समय इनके पिता किशन सिंह और माता विद्यावती कौर ने इन्हे शादी के बंधन में बाँधने की योजना बनाई लेकिन इन्होने मना कर दिया। भगत सिंह पहले एक कट्टरपंथी समूह हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन (एच. आर. ए.) से जुड़ गए थे।
उन्होंने कीर्ति किसान पार्टी से भी संपर्क साध रखा था। उसके साथ ही कीर्ति नामक पत्रिका भी नियमित रूप से सहयोग करते रहते थे। तदुपरांत भगत सिंह ने अपने क्रांतिकारी साथियो साथ चंद्रशेखर आजाद और सुखदेव के सहयोग से हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एशोसिएसन (एच. एस. आर. ए.) को पुनः शुरू किया।
भगत सिंह छात्र के रूप में एक उत्साही पाठक थे। फ्रेडरिक एंगेल्स और कार्लमार्क्स के लेखन का इनके ऊपर बहुत प्रभाव था। वह यूरोपीय राष्ट्रीय आंदोलनों से बहुत प्रभावित थे। यही से उनकी राजनीति की दिशा तय हो गयी और उनका झुकाव समाजवादी दृष्टिकोण की तरफ हो गया।
राष्ट्रीय आंदोलन और क्रांतिकारी गतिविधियों में भगत सिंह का योगदान
30 अक्टूबर 1928 को लाला लाजपत राय ने सभी दलों के जुलूस का नेतृत्व किया और साइमन कमीशन के विरोध में लाहौर रेलवे स्टेशन की तरफ मार्च किया। पुलिस और प्रदर्शन कारियों में टकराव हो गया। पुलिस को लाठी चार्ज का सहारा लेना पड़ा जिसमे लाला लाजपत राय को गंभीर चोट लगी थी।
उन्होंने 17 नवंबर 1928 को गंभीर चोट लगने के कारण दम तोड़ दिया था। भगत सिंह की गतिविधियां प्रारंभ में सरकार को उखाड़ फेकने के लिए हिंसक सिद्धांतो को रेखांकित करते हुए उन्हें मुद्रित और वितरित करने तक ही सिमित थी।
1926 में भगत सिंह को लाहौर के बम कांड के बारे में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उन्हें पांच महीने बाद 60000 रुपये के बांड पर रिहा कर दिया था। युवा लोगो पर उनका बहुत प्रभाव था तथा अकाली आंदोलन के साथ भी उनका बहुत सहयोग था इसलिए सरकार उनके ऊपर सदैव नजर रखे हुए थी।
लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए भगत सिंह ने अपने सहयोगियों के साथ जेम्स ए स्काट की हत्या कर दिया जो एक पुलिस अधीक्षक था। सहायक पुलिस अधीक्षक जेपी सांडर्स को भी क्रांतिकारियों ने मार डाला क्योंकि उसने ही लाठी चार्ज का आदेश दिया था।
भगत सिंह ने अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए अपनी दाढ़ी और सिर के बाल कटवा दिए और तुरंत लाहौर छोड़ दिया। 8 अप्रैल 1929 को योजना बद्ध तरीके से असेंबली की गलियारों में बम फेक दिया गया क्योंकि उसी दिन एशोसिएसन के सदस्य भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने ‘इंकलाब जिंदाबाद’ कहते हुए पर्चे और बम फेक दिए थे।
बम से किसी को मारने या घायल करने का इरादा नहीं था फिर भी कई लोग जो परिषद के सदस्य थे घायल हो गए थे। बम धमाके के बाद भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने खुद को गिरफ्तार करवा दिया।
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